भारतीय विचार मंच एवं अक्षरवार्ता का संत साहित्य पर राष्ट्रीय वेबिनार
नागपुर : संतों के साहित्य एवं उनकी वाणी शाश्वत एवं सनातन हैं, इसे सिर्फ किसी विशेष कालखंड से जोड़कर नहीं देखा जा सकता. उक्त प्रतिपादन महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने किया. वे भारतीय विचार मंच, नागपुर एवं अक्षरवार्ता (अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिका), उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार “वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संत साहित्य की प्रासंगिकता” का उदघाटन अपने बीज भाषण से किया. उदघाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय विचार मंच के विदर्भ प्रांत संयोजक सुभाष लोहे ने की.
आयोजन समिति प्रमुख और कार्यक्रम संयोजक डॉ. कमलकिशोर गुप्ता, सहसंयोजक नवीन महेशकुमार अग्रवाल, संरक्षक सुनील किटकरू एवं अक्षरवार्ता के सम्पादक डॉ. मोहन बैरागी के कुशल प्रयासों से आयोजित तीन दिवसीय वेबिनार के पहले दिन प्रथम सत्र “कबीर आज के सन्दर्भ में” के वक्ता डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, द्वितीय सत्र “नामदेव के काव्य में जीवन मूल्य” वक्ता डॉ. रामगोविंद आर्वीकर, दूसरे दिन “तुलसी काव्य में जीवन दर्शन” वक्ता डॉ. वन्दना खुशलानी, “तुकाराम के काव्य का में उपादेयता” वक्ता श्रीमती अंजली ठोम्बरे, तृतीय दिवस “राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज के काव्य में जीवन मूल्य” वक्ता डॉ. अविनाश मोहरील ने ओजस्वी वाणी में संत साहित्य की महत्ता को समझाया.
समापन कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि स्वरूप श्रीमती चित्रा जोशी ने मार्गदर्शन करते हुए कहा कि जो षड्विकार धो दे, वह साधु और जो भगवान से विभक्त नहीं होता, वह भक्त कहलाता है, एवं किसी को भक्त बनाने एवं आत्मस्वरूप का दर्शन कराने की विधा केवल संतों के पास होती है. समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. राजेंद्र नाईकवाड़े ने की.
2,500 पंजीयन, फेसबुक के माध्यम से 21,000 से अधिक लोगों ने कार्यक्रम देखे
वेबिनार में भारत के लगभग सभी राज्यों से एवं विदेश से कुल 2,500 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीयन किया. जूम एप्लीकेशन के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम का सीधा प्रसारण फेसबुक पर किया गया, फेसबुक पर पहले दिन 7,000 से अधिक लोगों ने कार्यक्रम को देखा एवं 5,000 से अधिक टिप्पणी, दूसरे दिन 7,000 से अधिक लोगों ने कार्यक्रम को देखा एवं 5,000 से अधिक टिप्पणी एवं तीसरे दिन 7,000 से अधिक लोगों ने कार्यक्रम को देखा एवं 7,000 से अधिक टिप्पणी प्राप्त हुई. अर्थात ही फेसबुक के माध्यम से तीन दिन में 21,000 से भी अधिक लोगों ने कार्यक्रम को देखकर लाभ प्राप्त किया.
कार्यक्रम का संचालन डॉ. कमलकिशोर गुप्ता एवं डॉ. नेहा कल्याणी ने, प्रास्ताविक सुनील किटकरू ने एवं आभार प्रदर्शन डॉ. मोहन बैरागी एवं डॉ. तीर्थराज राय ने किया. तकनीकी संयोजन की बागडोर नवीन अग्रवाल ने संभाली. आयोजन की सफलता के लिए आर्ट ऑफ़ लिविंग के नीरज अग्रवाल, सिंधु महाविद्यालय के डॉ. मुकेश कौशिक ने विशेष सहयोग प्रदान किया.