महाशिवरात्रि 117 साल बाद आ रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग लेकर  

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महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि कब से कब तक
* चतुर्दशी तिथि प्रारंभ 21 फरवरी को सायं 5.20 बजे से
* चतुर्दशी तिथि पूर्ण 22 फरवरी को सायं 7.02 बजे तक

सत्येंद्र पाठक,
रांची :
महापर्व महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी 21 फरवरी 2020 को मनाई जाएगी.  इस बार महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग, इसे महत्वपूर्ण बना रहा है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है.  इस बार महाशिवरात्रि पर 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है. इस साल महाविशरात्रि पर शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में और शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा. यह एक दुर्लभ योग है, जब ये दोनों बड़े ग्रह महाशिवरात्रि पर इस स्थिति में रहेंगे. इससे पहले ऐसी स्थिति वर्ष 1903 में बनी थी.

स्कंद पुराण के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि के समय भूत, प्रेत, पिशाच शक्तियां एवं स्वयं शिवजी पृथ्वीलोक में भ्रमण करते हैं. अत: उस समय शिवजी का पूजन आदि करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

“निशिभ्रमन्ति भूतानि शक्तय: शूलभृद्यत:।
अस्तस्यां चतुर्दश्यां सत्यां तत्पूजनं भवेत्।।”

सायंकाल सूर्यास्त काल अर्थात 6 बजकर 22 मिनट से प्रथम प्रहर का प्रारंभ, रात्रि में 9 बजकर 31 मिनट से द्वितीय प्रहर का प्रारंभ, मध्यरात्रि में 12 बजकर 40 मिनट से तृतीय प्रहर का प्रारंभ तथा अपररात्रि 3 बजकर 50 मिनट से लेकर सूर्योदय तक 6 बजकर 59 मिनट तक चतुर्थ प्रहर में पूजा आदि करने की समयावधि रहेगी. सायंकाल सूर्यास्त से लेकर अगले दिन सूर्योदय पर्यंत प्रत्येक प्रहर में भगवान शंकर का पूजन (पाठ, जप, रूद्राभिषेक, आरती, जागरण व संकीर्तन आदि) यथाशक्ति अवश्य करना चाहिए.

महाशिवरात्रि पूजन निशिथकाल रात्रि में किया जाता है. चूंकि निशिथकाल में चतुर्दशी तिथि 21 फरवरी की रात्रि में रहेगी, अगले दिन 22 फरवरी को निशिथकाल से पूर्व सायं 7.02 बजे ही चतुर्दशी तिथि समाप्त हो जाएगी और 22 फरवरी को पंचक भी है, इसलिए महाशिवरात्रि का पूजन 21 फरवरी को किया जाएगा.

पंचदेवों में भगवान शिव प्रमुख
वेदों में पंचदेव पूजा का विधान बताया गया है, जिसमें प्रमुख देवता के रूप से भगवान शिव को मान्यता दी गई है. भगवान शिव की पूजा न केवल मृत्यु पर विजय दिलाती है, वरन जीवन की प्रत्येक समस्या का हल भी प्रदान करती है. धन, संपत्ति, सुख, वैभव, रोगों से मुक्ति से लेकर तमाम साधन-संसाधनों की पूर्ति भगवान शिव की आराधना-पूजा से होती है. वैसे तो भगवान शिव को किसी भी समय, कभी भी पूजिए वे तुरंत शुभ फल प्रदान करते हैं, लेकिन विशेष दिन महाशिवरात्रि पर यदि अपनी किसी विशेष कामना की पूर्ति के लिए उनका पूजन किया जाए तो यह कई गुना अधिक शुभ होता है.

 

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