सिंचाई महाघोटाला : अजित पवार अब बन पाएंगे डिप्टी सीएम…

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अजित पवार

विशेष रिपोर्ट
नागपुर :
सिंचाई महाघोटाले में पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार की संलिप्तता को लेकर राज्य के भ्रष्टाचार प्रतिबंधक ब्यूरो (एसीबी) के यूटर्न ने एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया था. एसीबी ने पवार को क्लीन चिट देने में जल्दीबाजी में की गई अपनी गलती मान ली है. इससे आगामी 30 दिसंबर को राज्य मंत्रिमंडल विस्तार में अजित दादा पवार को डिप्टी सीएम बनाने की तैयारी में व्यवधान आने की आशंका दूर हो गई है. राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार इस संबब्ध में पूरी तरह से आश्वश्त हो चुकी है. इसके साथ ही एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी उन्हें डिप्टी सीएम बनाने पर अपनी मुहर लगा दी है. 

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ ने ही कल 24 दिसंबर के अंक में बता दिया था कि महराष्ट्र कैबिनेट विस्तार के दौरान एनसीपी के अजित पवार उद्धव ठाकरे सरकार में डिप्टी सीएम (उप मुख्यमंत्री) पद की शपथ लेंगे. आज बुधवार के सभी समाचार पत्रों में मंत्रिमंडल विस्तार की खबर के साथ ही अजित दादा के डिप्टी सीएम बनाने की खबर भी प्रमुखता से छपी है.

नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता अजित पवार इससे पहले भी महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. लेकिन पिछली बार उप मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल कुछ घंटों के लिए ही था. उन्होंने महाराष्ट्र चुनाव नतीजे आने के कुछ दिनों बाद ही देवेंद्र फड़णविस से हाथ मिला लिया था. लेकिन एक दिन बाद ही अजित पवार ने राज्यपाल कोशियारी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. अजित पवार के जाते ही देवेंद्र फड़णविस ने भी सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था.

एसीबी ने कुछ यूं लिया यूटर्न
अजित दादा को 27 नवंबर 2019 को क्लीन चिट देने के बाद अपने निर्णय पर मजबूती से खड़े एसीबी ने अब पिछले 21 दिसंबर 2019 को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ अतिरिक्त शपथ पत्र प्रस्तुत कर अपनी गलती स्वीकार कर ली है.

एसीबी के वर्तमान महासंचालक परमवीर सिंह ने इससे पूर्व पिछले 19 दिसंबर को ही अपने शपथ पत्र में 27 नवंबर के अपने बयान पर कायम रहते हुए पूर्व एसीबी महासंचालक संजय बर्वे द्वारा पिछले वर्ष 26 नवंबर 2018 के हाईकोर्ट में दायर शपथ पत्र को झुठला दिया था. उन्होंने यहां तक बता दिया था कि बर्वे ने बिना दस्तावेज अथवा जांच रिपोर्ट के हाईकोर्ट में शपथ पत्र पेश कर दिया था.

बर्वे ने बताया था कि अजित दादा भी महाघोटाले में शामिल थे  
लेकिन 20 दिसंबर को ही उनको अपने ब्लंडर का अहसास हो गया. उन्होंने ताजा शपथ पत्र में स्वीकार किया है कि बर्वे ने दस्तावेजों और एसीबी के अमरावती एसपी की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही अजित दादा पवार को सिंचाई महाघोटाले में दोषी ठहराया था. बर्वे ने अपने रिपोर्ट में बताया था कि अजित दादा भी महाघोटाले में शामिल थे. परमवीर सिंह ने बर्वे की रिपोर्ट को नजरंदाज करने की अपनी इस गलती के लिए हाईकोर्ट से माफी भी मांगी है.

अजित के सवाल पर शरद पवार ने साध ली थी चुप्पी
उल्लेखनीय है कि तकरीबन एक माह पहले महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाले गठबंधन में अजित पवार अगले उपमुख्यमंत्री होंगे या नहीं, इस सवाल पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अपना पक्ष रखने से इनकार कर दिया था. तब शरद पवार ने एनडीटीवी में दिए एक इंटरव्यू में कहा था, “तीन सदस्यीय गठबंधन महाराष्ट्र विकास अघाड़ी में अजित पवार की संभावित भूमिका पर पूछे गए सवालों के जवाब नहीं दे सकता.” उन्होंने कहा था कि यह निर्णय एक व्यक्ति द्वारा नहीं लिया जाएगा, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के परामर्श के बाद फैसला होगा.

बताया- अजित क्यों थे नाखुश, किन्तु…
भाजपा के साथ अजित पवार के हाथ मिलाने के बारे में पवार ने कहा था, वह चर्चा के बीच से ही लौट गए थे और कांग्रेस व हमारे बीच वार्ता से वह बहुत खुश नहीं थे. वह पूरी तरह नाखुश थे. उस स्थिति में उन्होंने ऐसा निर्णय लिया. पवार ने कहा था, लेकिन उन्हें महसूस हो गया कि यह सही निर्णय नहीं है और इसलिए अगली सुबह वह आए, मुझे देखा और इन सबसे अलग हो गए. शरद पवार ने कहा था कि एनसीपी में उनके भतीजे की अच्छी पकड़ है, किन्तु यह बताने से इनकार कर दिया था कि महाराष्ट्र की नई सरकार में उनके भतीजे को उपमुख्यमंत्री का पद मिलेगा अथवा नहीं.

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में विभागों का हो चुका है बंटवारा
इधर ज्ञातव्य है कि महाराष्ट्र की शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन की सरकार में विभागों का बंटवारा पहले ही हो चुका है. महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस को राजस्व, ऊर्जा, शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, वस्त्र, महिला एवं बाल कल्याण विभाग मिले. शिवसेना को सरकार में गृह, शहरी विकास मंत्रालय मिले हैं. वहीं, एनसीपी को महाराष्ट्र सरकार में वित्त, आवास, लोक स्वास्थ्य, सहकारी मंत्रालय मिले हैं.

कांग्रेस से बालासाहेब थोरात को राजस्व विभाग, स्कूल शिक्षा आदि विभाग मिले हैं. एनसीपी के जयंत पाटिल को वित्त और योजना, आवास, खाद्य आपूर्ति और श्रम विभाग दिया गया है. इसके अलावा शिवसेना से मंत्री एकनाथ शिंदे को गृह मंत्रालय दिया गया है. शिंदे को शहरी विकास, पर्यावरण, पीडब्ल्यूडी, पर्यटन और संसदीय कार्य विभाग भी मिला है. वहीं, एनसीपी नेता छगन भुजबल को ग्रामीण विकास, सामाजिक न्याय, जल संसाधन आदि विभाग मिले हैं. अब देखना है कि अजित दादा डिप्टी सीएम बनते हैं तो कौन-कौन से विभाग उन्हें मिलेंगे.

 

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