बिजली निर्मिति : वेकोलि की 11 विशेष खदानों से भी मिलेगा कोयला

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बिजली

100 मिलियन टन से अधिक कोयला-उत्पादन का लक्ष्य

   
नागपुर : वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) से बिजली संयंत्रों को अधिक मात्रा में कोयले की सतत आपूर्ति के लिए कंपनी द्वारा 11 विशेष खदानों को भी खास तौर पर कंपनी से जुड़े विद्युत क्षेत्र के उपभोक्ताओं के लिए चिह्नित किया गया है. विभिन्न योजनाओं के तहत वेकोलि से कोयला ले रहे, सभी बिजली संयंत्रों को इन खदानों से अधिकतम मात्रा में कोयला आपूर्ति हेतु यह विशेष पहल की गई है.

वेकोलि ने अपनी 63 खदानों से उन 11 खदानों को चिह्नित किया है, जिनसे कंपनी से जुड़े बिजली उपभोक्ताओं को अधिक मात्रा में कोयला-आपूर्ति की जाएगी. इनमें से पिछले पांच वर्षों में खोली गई 8 ग्रीनफील्ड तथा 3 ब्राउन फील्ड खदानें हैं. सभी जुड़े बिजली उपभोक्ताओं को इन परियोजनाओं से विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत करीब-करीब पूरा कोयला दिया जा सकेगा.  

रेल तथा सड़क-मार्ग से भेजने पर विशेष जोर
यह जानकारी वेकोलि द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी गई. बताया गया कि इसके अंतर्गत गुणवत्तापूर्ण कोयला, रेल तथा सड़क-मार्ग से भेजने पर विशेष जोर दिया जाएगा. यह आपूर्ति अन्य खदानों से निर्धारित मात्रा के अलावा होगी. इन विद्युत् संयंत्रों को इस बढ़ी हुई कोयला-आपूर्ति से न केवल उनकी आवश्यकता पूरी होगी, बल्कि राष्ट्र-हित में थर्मल कोयले के आयात में भी कमी आएगी. 

बताया गया कि 2013-14 में इन बिजली-संयंत्रों को 62% कोयले की आपूर्ति की गई थी, जबकि 2018-19 में 81% कोयला इन्हें प्रेषित किया गया. 2018-19 में कम्पनी ने कुल 55.5 मिलियन टन कोयला प्रेषित किया, इनमें से 45 मिलियन टन कोयला विद्युत् संयंत्रों को प्रेषित किया गया. महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा राज्यों के बिजली संयंत्रों के साथ एनटीपीसी के आलावा निजी बिजली संयंत्र वेकोलि के प्रमुख उपभोक्ता हैं. 
वेकोलि द्वारा प्रेषित कोयले का बड़ा हिस्स्सा महाराष्ट्र की बिजली कंपनी महाजेनको (50%) तथा मध्यप्रदेश (12%) द्वारा उपयोग किया जाता है. अन्य तीन संयंत्रों तथा एनटीपीसी 7% तथा निजी बिजली संयंत्र वेकोलि के 12% कोयले का उपयोग करते हैं. कम्पनी द्वारा वर्ष 2018-19 के दौरान स्पॉट ऑक्शन तथा नॉन-पावर लिंकेज  ऑक्शन के तहत प्रत्येक को करीब 5 मिलियन टन कोयले की आपूर्ति की गई. 

2013-14 में उत्पादन में आई थी गिरावट   
उल्लेखनीय है कि 2009-10 के 45.74 मिलियन टन कोयला-उत्पादन के मुकाबले वर्ष 2013-14 में वेकोलि का उत्पादन घटकर चिंताजनक स्तर 39.73 मिलियन टन पर आ गया था. परियोजनाओं के लिए जमीन की अनुपलब्धता तथा संभावित घाटे की भावी खदानों के कारण कम्पनी के भविष्य पर खतरे की स्थिति आ गई थी. मध्य, पश्चिमी तथा दक्षिणी क्षेत्र के उपभोक्ताओं  सहित महाजेनको भी पूर्वी भारत स्थित कोयला कम्पनियों पर कोयला-आपूर्ति के लिए निर्भर थे, जिनका कोयला अधिकतम रेल-भाडा के कारण उन तक पहुंचने में काफी महंगा पड़ता था.

20 नई परियोजनाएं शुरू करने में सफलता  
वेकोलि ने कोयला-उत्पादन में तत्काल बढ़ोत्तरी के लिए भू-अर्जन हेतु सरल नियम तथा संभावित घाटे वाली भावी खदानों को लाभप्रद स्थिति में लाने के लिए गहन तकनीकी विश्लेषण जैसे अनेक प्रयास किए. इसका सकारात्मक फायदा 2015 के प्रारम्भ से ही नई परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण के रूप में मिलने लगा. पिछले पांच वर्षों में वेकोलि को 8364 हेक्टेयर जमीन प्राप्त करने तथा 6543 करोड़ रुपए की लागत से  20 नई परियोजनाएं शुरू करने में सफलता मिली. इनमें से 8 ग्रीनफील्ड और 12 ब्राउन फ़ील्ड परियोजनाएं हैं. इस बीच, 22 मिलियन टन उत्पादन वाली 22  परियोजनाएं कोयला-भंडार खत्म होने के कारण बंद हो गईं. दरअसल, 2018-19 में कंपनी का उत्पादन  गिर कर करीब 17 मिलियन टन आ गया होता, लेकिन 2014-15 से इन 20 नयी परियोजनाओं से वर्ष-दर-वर्ष उत्पादन प्रारम्भ होता गया और 2018-19 में वेकोलि अब तक का सर्वाधिक 53.18 टन कोयला-उत्पादन करने की उपलब्धि प्राप्त कर सकी. वर्ष  2018-19  में इन नई परियोजनाओं से 35.82 मिलियन टन का योगदान हो सका. 

पुराने ग्राहकों को फिर से वापस लाने में सफलता 
वेकोलि के सतत प्रयत्न का परिणाम यह रहा कि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि से आस-पास के उन उपभोक्ताओं को धीरे-धीरे वापस लाया जा सका, जो एसईसीएल, एमसीएल से कोयला ले रहे थे. वेकोलि से कोयला लेना उनके लिए कम रेल-भाड़ा  लगने के कारण, उनके संयंत्र तक अपेक्षाकृत लागत कम होने लगी. 2013-14 में महाजेनको को 16 मिलियन टन कोयले की तुलना में 2018-19 में वेकोलि ने 28 मिलियन टन कोयले की आपूर्ति की. इसी तरह, पिछले पांच  वर्षों में, निकटस्थ राज्य विद्युत् गृहों तथा अन्य गैर-विद्युत् उपभोक्ताओं को अधिक कोयला उपलब्ध कराया जा सका, जिससे भाड़ा के मद में उनकी अच्छी-खासी बचत हो सकी. 

100 मिलियन टन से अधिक कोयला-उत्पादन की ओर अग्रसर  
उल्लेखनीय है कि 2019-20 में वेकोलि 60 मिलियन टन से अधिक  कोयला-उत्पादन की ओर अग्रसर है. इसके साथ ही, प्रथम चरण में अगले  तीन-चार वर्षों में  कम्पनी की 20 अन्य खदानें खोलने की योजना है तथा द्वितीय चरण 7-8 वर्ष की अवधि  में और 11 खदानें खोलकर वेकोलि 100 मिलियन टन उत्पादन की  महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य कर रही है. कम्पनी मध्य, पश्चिमी  तथा दक्षिणी क्षेत्र के नॉन-कोकिंग कोल उपभोक्ताओं को पर्याप्त  कोयला उपलब्ध करवा कर, अपने देश में थर्मल कोयले के आयात को  रोकने की दिशा  में प्रयत्नशील  है. कोल इंडिया की अन्य अनुषंगी कम्पनियों की तुलना में वेकोलि में खनन जटिल है. दुरूह खनन परिस्थितियों, जैसे ब्लैक  कॉटन स्वायल, घाटे वाली पुरानी भूमिगत खदानें, ओपन कास्ट खदानों में हाई स्ट्रिपिंग रेशियो, के कारण गहराई में कोयला-उत्खनन और कोयले की निम्न श्रेणी आदि कंपनी की वित्तीय  स्थिति पर विपरीत असर डालती है.

वेकोलि ने अपनी 63 खदानों से उन 11 खदानों को चिह्नित किया है, जिनसे कंपनी से जुड़े विद्युत् उपभोक्ताओं को अधिक मात्रा में कोयला-आपूर्ति की जाएगी. इनमें से पिछले पांच वर्षों में खोली गई 8 ग्रीनफील्ड तथा 3 ब्राउन फील्ड खदानें हैं. सभी जुड़े विद्युत् उपभोक्ताओं को इन परियोजनाओं से विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत करीब-करीब पूरा कोयला दिया जा सकेगा. 

इस विशेष श्रेणी की 11 खदानों से वेकोलि 450 रुपए प्रति टन इन उपभोक्ताओं की बचत से शेयर करेगी, जो उनके कार्य-स्थल तक सस्ती दर  पर कोयला उपलब्ध होने से उन्हें बचेगी. इससे वेकोलि को भी  वित्तीय स्थिरता प्राप्त होगी और उपभोक्ताओं के लिए भी यह सुविधाजनक होगा. नॉन-पावर लिंक्ड उपभोक्ता तथा स्पॉट ऑक्शन उपभोक्ता अन्य खदानों से पर्याप्त मात्रा में कोयला ले सकेंगे. 

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