रात भर की भारी बारिश और तीन-तीन भूस्खलन से चारों तरफ मची तबाही
वायनाड (केरल) : गांव हो गए ‘गायब’, बह गईं सड़कें और पुल, नदियों में बहते दिखे शव… केरल के वायनाड में जब लोग मंगलवार की सुबह उठे, तो कुछ यही भयावह मंजर लोगों को देखने को मिला. जैसे ही वायनाड में मूसलाधार बारिश हुई, चूरलमाला गांव का एक बड़ा हिस्सा शहर के सबसे भीषण भूस्खलन में बह गया. 93 लोगों की जान जाने की खबर है.
बचावकर्मी, जिन्हें जीवित बचे लोगों की मदद के लिए लगाया गया था, उनका कहना है कि उन्हें अंदाजा ही नहीं था कि आपदा कितनी बड़ी है. रात 2 बजे से सुबह 6 बजे के बीच इलाके में एक के बाद एक 3 भूस्खलन हुए. भारी भूस्खलन के बाद दुकानों और वाहनों सहित चूरलमाला शहर का एक हिस्सा लगभग पूरी तरह से बर्बाद हो गया है.
रात में तीन बार हुआ भूस्खलन
रात करीब 2 बजे, कम से कम दो से तीन बार भूस्खलन हुआ, इससे लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला. वायनाड जिले में लगातार जारी भारी बारिश के कारण मंगलवार तड़के कई जगहों पर हुई भूस्खलन की घटनाओं में मरने वाले लोगों की संख्या 93 हो गई है… ये अभी और बढ़ सकती है, क्योंकि कई लोगों के नीचे दबे होने की खबर है.
कैसे आया ‘मौत का सैलाब’?
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, केरल के वायनाड में सोमवार से भारी बारिश हो रही है. मौसम विभाग ने मंगलवार को मलप्पुरम, कोझिकोड, वायनाड, कासरगोड और कन्नूर जिलों में रेड अलर्ट की घोषणा की गई है. भारी बारिश ही वायनाड में भूस्खलन की वजह बनी. लगातार हुई भारी बारिश के बार आए भूस्खलन में मकान और गाडि़यां किसी कागज की नाव की तरह बह गईं.
भारी बारिश के दौरान रात करीब एक बजे मुंडक्कई कस्बे में पहला भूस्खलन हुआ. जब बचाव अभियान जारी था, तभी सुबह करीब 4 बजे चूरलमाला स्कूल के पास दूसरा भूस्खलन हुआ. यहां एक शिविर के रूप में काम कर रहे स्कूल और आस-पास के घरों और दुकानों में पानी और कीचड़ भर गया. मौसम विभाग ने वायनाड समेट 4 जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, ऐसे में लोगों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.
भूवैज्ञानिक ने बताया हादसे का कारण
भूवैज्ञानिक डॉक्टर नवीन जुयाल ने बताया कि केरल का जो यह हिस्सा है वो वेस्टर्न घाट के अंतर्गत आता है. वायनाड का एक बहुत बड़ा हिस्सा पश्चिमी घाट के अंतर्गत आता है. पश्चिमी घाट की जो चट्टानें हैं वो थोड़ी भुरभुरी होती है. इसमें क्ले की मात्रा अधिक होती है. जब इसपर पानी पड़ती है तो यह फैलती है. इस दौरान यह ढलान में फिसलती है और यह स्वाभाविक कारण है. इस क्षेत्र में यह भौगोलिक घटनाएं होती है.
उन्होंने कहा कि अहम बात यह है कि साल 2018 के बाद 2019 में एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट दीपा शिवदास और उनकी टीम ने वायनाड को लेकर तैयार की थी. उन्होंने रिपोर्ट में बताया था कि वायनाड जिले में 242 लेंडस्लाइड वाले केस आइडेंटिफाई हुए हैं. इस कारण यहां के ढलान थोड़े सेंसेटिव हैं.
डॉ. जुयाल ने बताया कि पॉलिसी बनाने वालों के पास घटना से पहले ही एक दस्तावेज था. जिससे हम जान रहे थे कि यह क्षेत्र सबसे अधिक संवेदनशील है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस रिपोर्ट के 4.9 नंबर को देखने की जरूरत है. इसमें साफ कहा गया है कि वायनाड के 360 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र भूस्खलन को लेकर बेहद संवेदनशील है. इस क्षेत्र में हमेशा इस तरह की छोटी-छोटी घटनाएं होती रहती है.