महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय एक बार फिर विवाद में
वर्धा (महाराष्ट्र) : देश का प्रतिष्ठित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय एक बार फिर विवाद में फंस गया है. अब रजिस्ट्रार के इस्तीफे का मामला सामने आया है. हालांकि, कुलपति के आग्रह पर उन्होंने फिलहाल इस्तीफा वापस ले लिया है.
ज्ञातव्य है कि विश्वविद्यालय में कार्यरत कुछ लोगों के गलत व्यवहार से परेशान रजिस्ट्रार डाॅ. आनंद पाटिल ने इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, बताया जा रहा है कि कुलपति प्रो. के.के. सिंह ने इसे फाड़कर फेंक दिया. साथ ही डॉ. पाटिल से अनुरोध किया कि वह रजिस्ट्रार के रूप में काम करते रहें. कुलपति का अनुरोध उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है.
डॉ. पाटिल ने कुलपति को लिखे अपने इस्तीफे में कहा था, ‘चांसलर का कार्यभार संभालने के बाद मुझे शोध कार्य के लिए समय नहीं मिला है. साथ ही, चूंकि मैं विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा विभाग का निदेशक हूं, इसलिए मैं इस विभाग की योजनाओं को लागू करने पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकता. इसलिए मुझे रजिस्ट्रार कार्यालय की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए.’
रजिस्ट्रार डाॅ. पाटिल को विश्वविद्यालय में एक विद्वान प्रोफेसर के रूप में जाना जाता है. मूल रूप से नांदेड़ के रहने वाले पाटिल साहित्य, नाटक, सिनेमा अध्ययन, पत्रकारिता क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल है. वे पहले ईटीवी में पटकथा लेखक, उस्मानिया विश्वविद्यालय में राजभाषा निदेशक, विभिन्न समाचार पत्रों में स्तंभकार और विभिन्न पुस्तकों के लेखक रहे हैं. उनके इस्तीफे का रुख अपनाने के बाद से यूनिवर्सिटी में काफी हलचल मच गई है.
जब रजनीश कुमार शुक्ला विश्वविद्यालय के कुलपति थे, तब कई विवाद हुए थे. उनके इस्तीफे के बाद कुलपति का चुनाव नहीं हुआ. सीनियर को अस्थायी कुलपति की जिम्मेदारी सौंप कर काम चलाया जा रहा है. खबर है कि केंद्रीय शिक्षा विभाग की ओर से कुलपति चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. लेकिन तब तक यूनिवर्सिटी में और क्या होगा, इस पर चर्चा अभी भी जारी है.