राहुल खटे

राहुल खटे डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित

विशेष शिक्षाजगत
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नांदेड़ : डॉ. राहुल खटे को ग्लोबल इंटरनेशनल फाउंडेशन और राष्ट्रभाषा हिंदी सेवा समिति के माध्यम से विगत 25 मई 2024 को डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान किया गया है.

यह उपाधि उन्हें हिंदी के क्षेत्र में किए गए कार्य तथा राजभाषा हिंदी के तकनीकी एवं वैज्ञानिक शब्दों की खोज तथा भारतीय भाषाओं के लिए किए जा रहे सामाजिक कार्यों के लिए दी गई है. डॉ. राहुल खटे भारतीय स्टेट बैंक, प्रशासनिक कार्यालय, नांदेड़ में प्रबंधक (राजभाषा) के पद पर कार्यरत हैं. कार्यालय में राजभाषा कार्यान्वयन के साथ-साथ वे सामाजिक जीवन में हिंदी एवं भारतीय भाषाओं में ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार का कार्य कर रहे हैं.

उन्होंने भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से जन जागरूकता पैदा की है. हिंदी के माध्यम से वे विज्ञान प्रचार-प्रसार, राजभाषा हिंदी, राष्ट्रभाषा हिंदी, शब्द अनुसंधान, माईबोली, नारी शक्ति, रामायण प्रसार-परिशोध प्रतिष्ठान, भारतीय ज्ञान परंपरा आदि क्षेत्रों में योगदान कर रहे हैं. उन्होंने फेसबुक पेजों के माध्यम से सोशल मीडिया पर भारतीय भाषाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार में प्रमुख भूमिका निभाई है.

भारतीय भाषाओं से व्युत्पन्न अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, लैटिन शब्दों की व्युत्पत्ति पर शोध चल रहा है, जिसमें 1 लाख शब्दों का भारतीय मूल पता चला है.

डॉ. राहुल खटे ने राजभाषा विभाग, भारत सरकार की अनेक तकनीकी संगोष्ठियों में राजभाषा के तकनीकी विषयों पर मार्गदर्शन प्रदान किया है. साथ ही वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के सहयोग से संगोष्ठियों का आयोजन एवं प्रस्तुतीकरण किया है.

आपकी पुस्तक ‘राजभाषा हिंदी के अभिनव आयाम’, जिसमें राजभाषा हिंदी के तकनीकी और अभिनव आयामों का वर्णन है, काफी चर्चित है. यह पुस्तक नई शिक्षा नीति के अनुरूप बनाई गई है.

रामायण प्रसार-परिषद प्रतिष्ठान के माध्यम से रामायण के ऐतिहासिक एवं वैज्ञानिक तथ्यों पर उनका शोध कार्य जारी है. उनकी पुस्तक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मंचों पर सराही गई है तथा नई शिक्षा नीति के लिए उपयुक्त है. राजभाषा हिंदी के प्रति उनकी निष्ठा एवं समर्पण को देखते हुए उन्हें दुष्यंत कुमार पाण्डुलिपि संग्रहालय, भोपाल की ओर से वर्ष 2024 में अखिलेश जैन स्मृति सम्मान से भी सम्मानित किया गया है.

उनकी सेवा और कार्यों को देखते हुए उन्हें ग्लोबल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की ओर से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से अलंकृत करने के लिए चुना गया. 25 मई को हैदराबाद में उन्हें यह सम्मान दिया गया. 

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