उपभोक्ता आयोग

उपभोक्ता आयोग, नागपुर की खोल डाली कलई..!

नागपुर महाराष्ट्र
Share this article

नागपुर : ग्राहक पंचायत, महाराष्ट्र के विदर्भ प्रांत के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्याय. एस.पी. तावड़े को यहां एक निवेदन सौंपकर मांग की है कि नागपुर उपभोक्ता अदालत में ग्राहकों के लंबित मामलों का निपटारा निर्धारित समयावधि में की जाए. 

प्रतिनिधिमंडल में महाराष्ट्र ग्राहक पंचायत के विदर्भ प्रांत के अध्यक्ष श्यामकांत पात्रीकर, विदर्भ प्रांत सचिव लीलाधर लोहरे, जिला अध्यक्ष डाॅ. बिप्लब मजूमदार, जिला सचिव मुकुंद अदीवार, कानूनी सलाहकार सलाहकार पल्लवी खापरीकर, संचार प्रमुख प्रशांत लांजेवार और ग्रामीण आयोजक श्रीराम सातपुते शामिल थे.

निवेदन में प्रतिनिधिमंडल ने राज्य आयोग को उपभोक्ता अदालतों के कामकाज में सुधार से संबंधित 12 सूत्री शिकायतों के ब्यौरा दिए. पात्रीकर ने राज्य आयोग के अध्यक्ष न्याय. तावड़े को बताया कि नागपुर की ग्राहक अदालत नियमानुसार काम नहीं कर रहीं. 

5 से 10 साल तक के पुराने मामले लंबित हैं

उन्होंने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ताओं को 90 दिनों के भीतर न्याय मिलनी चाहिए. लेकिन 5 से 10 साल तक के पुराने मामले लंबित हैं. जिनमें 3 से 4 महीने बाद की तारीख दी जा रही है. जबकि एक महीने से अधिक की तारीख नहीं दी जानी चाहिए और पूर्णकालिक काम करते हुए प्रतिदिन 20 से 25 मामलों का निपटारा किया जाना चाहिए.

सदस्य लंबी छुट्टियों पर रहते हैं

पात्रीकर ने यह भी बताया कि वर्तमान में राज्य उपभोक्ता आयोग, नागपुर में पिछले कई महीनों से बहुत ही कम मामलों का निपटान किया जा रहा है. पूर्णकालिक काम नहीं किया जा रहा है. साथ ही सदस्यों के लंबे समय तक छुट्टी पर रहने के कारण कामकाज बंद रहता है. ऐसे में दूर से आने वाले ग्राहकों को अत्यधिक परेशानी हो रही है. ऐसे ग्राहकों को 3 से 4 महीने बाद की तारीख दी जा रही है. जबकि केंद्र सरकार के उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि तारीख एक महीने से ज्यादा लंबी नहीं होनी चाहिए.

तारीख पर तारीख मिलती है, न्याय नहीं मिलता 

उन्होंने बताया कि अनेक ग्राहक अपने मामलों की तारीख पर 300 से 400 किलोमीटर दूर से आते हैं और उन्हें केवल अगली तारीख लेकर जाना होता है. ऐसे अनेक मामलों में 60 से 70 तारीखें पड़ चुकी हैं. केवल तारीख पर तारीख मिलती है. लेकिन, ग्राहकों को न्याय नहीं मिलता है. 

बिल्डरों पर मेहरबानी 

पात्रीकर ने तावड़े का ध्यान बिल्डरों से संबंधित लंबित मामलों के ओर भी दिलाया. उन्होंने बताया कि नागपुर में अनेक बिल्डरों ने 10 साल पहले ग्राहकों से फ्लैट और प्लॉट का पूरा भुगतान ले लिया है और उस पैसे से बने फ्लैट और प्लॉट को तीसरे पक्ष को बहुत ऊंची दरों पर बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसे मामले में नागपुर का वर्तमान उपभोक्ता आयोग केवल 9 प्रतिशत ब्याज की दर से उक्त राशि वापस करने का आदेश दे रहा है. इससे ग्राहकों को फ्लैट या प्लॉट का आधा हिस्सा ही मिल पाता है. जबकि नियमानुसार पहले की तरह बाजार मूल्य के बराबर या 18 फीसदी रकम वापस करने का आदेश देना जरूरी है.

आपत्तियों को सहेज कर ग्राहकों से नाइंसाफी 

उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2018 से लगभग 200 मामले राज्य उपभोक्ता आयोग, नागपुर में आपत्ति के तहत पड़े हैं. उदाहरण के लिए, 50 प्रतिशत राशि असंग्रहित अपील आपत्तियों में पड़ी है और इसका फायदा विपक्षी पार्टी द्वारा उठाया जा रहा है. अपील के कारण वसूली के मामले आगे नहीं बढ़ सकते हैं. ऐसी आपत्तियों को जिला उपभोक्ता आयोग में ले जाया जा रहा है. 

ऐसे मामले में अपील राशि का 50% अग्रिम रूप से जमा करना अनिवार्य है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा. बिना 50% अग्रिम के दायर की गई अपीलों को तत्काल प्रभाव से पारस्परिक रूप से खारिज कर दिया जाना चाहिए, लेकिन इस नियम का पालन भी नागपुर की उपभोक्ता अदालत नहीं कर रहीं. 

प्रतिनिधिमंडल ने न्याय. तावड़े से अनुरोध किया कि आप हर महीने में एक सप्ताह नागपुर में काम करें. तभी यहाँ के कामकाज में सुधार संभव है. उन्होंने नागपुर के सभी उपभोक्ता आयोगों में न्यायिक ऑडिट कराने का भी सुझाव दिया. 

संचालन ग्राहकोन्मुखी किया जाए

इस ओर भी उनका ध्यान दिलाया गया कि प्रत्येक राज्य एवं जिला उपभोक्ता आयोग को अपना स्वयं का हेल्पलाइन नंबर जारी करे. साथ ही उपभोक्ता आयोग के सामने एक उपभोक्ता सूचना पेटिका रखी जाए तथा इसके माध्यम से प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए इसका संचालन ग्राहकोन्मुखी किया जाए.

उपभोक्ता निधि का सदुपयोग हो 

इसके साथ ही राज्य और जिला उपभोक्ता आयोगों द्वारा स्वयं मामले लड़ने वाले उपभोक्ताओं को अधिवक्ता उपलब्ध कराने की भी मांग की गई. यह भी कहा कि आवश्यकता पड़ने पर उपभोक्ता निधि से पारिश्रमिक दिया जाना चाहिए तथा मध्यस्थों को भी उपभोक्ता निधि से पारिश्रमिक दिया जाना चाहिए.

ऑनलाइन केस फाइलिंग की ऐसी-तैसी 

प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से ऑनलाइन फाइलिंग अनिवार्य कर दी गई है. लेकिन अभी तक ऑनलाइन सुनवाई शुरू नहीं हो पाई है, इसे तत्काल शुरू किया जाए. अन्यथा पूरा मामला ऑनलाइन दर्ज करने की बाध्यता नहीं होनी चाहिए. इस ओर भी ध्यान दिलाया गया कि नागपुर में उपभोक्ता आयोग के डिस्प्ले बोर्ड बंद हैं. जबकि इसे नियमित एवं सुचारू रूप से जारी रखने की आवश्यकता है. नागपुर में राज्य एवं जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय भी समय पर अपलोड नहीं होते और कई निर्णय अभी अपलोड होते ही नहीं. 

न्याय. तावड़े ने सुधार का दिया आश्वासन 

राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्याय. एस.पी. तावड़े ने आश्वासन दिया कि ग्राहकों की समस्याओं का निदान जल्द किया जाएगा. उपभोक्ता संघों के माध्यम से मध्यस्थता कक्ष स्थापित किए जाएंगे और उपभोक्ताओं के हित में ग्राहक-उन्मुख निर्णय लिए जाएंगे. ,उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि उपभोक्ता पंचायत महाराष्ट्र को पहल करनी चाहिए और करोड़ों रुपए के उपभोक्ता कल्याण कोष के समुचित उपयोग की कमी पर खेद व्यक्त करते हुए उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय के केंद्रीय कार्यालय से संपर्क करना चाहिए.