बिछड़े पिता से 18 वर्षों बाद हुआ मां-बेटे का मिलन

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47 वर्षीय गरिबा उर्फ बंडू कृष्णाजी रायमल अपने छोटे बेटे अजय और पत्नी विमल के साथ जब 18 वर्षों बाद मिला...

तीनों के अश्रुधार से द्रवित हुए वर्धा के बजाज चौक के सभी नागरिक

वर्धा : बिछड़ों का मिलन कितना मार्मिक, कितना कारुणिक और हृदयस्पर्शी होता है, इसकी अनुभूति रविवार को हुई यहां बजाज चौक के मुडके बुक स्टॉल मालिक रवि लाखे, फल विक्रेता अय्याज खान और चाय विक्रेता तेजपाल सहित अनेक कामगार और अनेक लोगों को.

वर्धा पहुंचकर खोज करने लगे मां-बेटा
47 वर्षीय गरिबा उर्फ बंडू कृष्णाजी रायमल पिछले 18 वर्षों से अपनी पत्नी और दो छोटे बच्चों को छोड़ घर से निकल गया था. दोनों बच्चे बड़े होते गए तो उन्हें अपने पिता की कमी खलती गई. वे दोनों पिता के बारे में लोगों से पूछताछ करते और पता भी लगाते रहते थे. इसी क्रम में जब उन्हें पता चला कि बंडू वर्धा के बजाज चौक में काम करता है तो पत्नी विमल अपने छोटे बेटे को लेकर सोमवार, 27 मई को हिंगणघाट से सुबह 9 बजे वर्धा आ गई और बजाज चौक पहुंच कर बिछड़े पति के बारे में लोगों से पूछताछ करने लगी. जब उन्हें पता चला की बंडू मुडके बुक स्टाल पर मिलेगा तो दोनों मां-बेटे वहां पहुंच कर बंडू का इन्तजार करने लगे.

मिलते ही नेत्रों से अश्रुधार फूट पड़े तीनों के
तभी शाम 4 बजे उन्हें बंडू नजर आया. 18 वर्षों बाद बिछड़ों के मिलन का यह क्षण अत्यंत कारुणिक और हृदयस्पर्शी था. अचानक अपनी पत्नी और छोटे बेटे को अपनी खोज में आया देख बंडू की भी आँखें नम होने लगीं. उधर पत्नी और बेटा की नेत्रों से भी बंडू को देख अश्रुधार फूट पड़े. देखने वाले अचंभित थे और वस्तुस्थिति जान कर वे भी द्रवित हो उठे.

बंडू के परिवार की मार्मिक दास्तान
बंडू की पत्नी विमल ने जब अपनी मार्मिक दास्तान इस “विदर्भ आपला” संवाददाता के समक्ष बयान की तो सभी सुनने वाले मर्माहत नजर आए. यवतमाल जिले के मारेगांव तहसील के जलका गांव निवासी गरिबा ऊर्फ बंडू पारिवारिक विवाद से तंग आकर अपनी पत्नी विमल और दो साल के बेटे वैभव और 6 माह के अजय को छोड़ गांव से निकल गया था. विवाद का कारण बंडू की बेरोजगारी थी. लम्बे समय तक उसकी कोई खोज-खबर नहीं मिलाने पर पत्नी विमल को अपने दोनों बच्चों को लेकर अपने मायके हिंगणघाट आ जाना पड़ा. वहां शहर के अनेक घरों में चौका-बरतन साफ करते हुए जीवन यापन करने लगी और साथ ही उसने अपने दोनों बेटों को लिखाया-पढ़ाया. बड़ा बेटा वैभव 20 वर्ष का हो गया है. वह हिंगणघाट में ही राजमिस्त्री का काम करने लगा है. छोटा अजय वहीं कैटरिंग के काम में लग गया है.

बिछड़ा परिवार फिर एक हुआ
अपने गांव छोड़ वर्धा पहुंचा सरल और शांत स्वभाव का बंडू इधर-उधर लोगों सेवा कर अपना गुजर-बसर कर रहा था. अनेक दिनों से वह मुडके बुकस्टाल, तेजपाल की दूकान और फल वाले अय्याज खान में लगा था. तीनों का यह मिलन पत्रकार रवि लाखे के बुकस्टाल पर ही हुआ. बिछड़े परिवार को फिर से मिलने की इस घड़ी में सभी ने उन्हें बधाई दी और उनके सुखमय जीवन की कामना की. इसके बाद तीनों सभी की शुभेच्छा लेते हुए शाम 5 बजे हिंगणघाट के लिए रवाना हो गए.

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