महाराष्ट्र के 11 हजार 700 शासकीय कर्मियों को गंवानी पड़ेगी नौकरी

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बोगस प्रमाणपत्र के आधार पर एससी, एसटी प्रवर्ग में बहाली का मामला

मुंबई : महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति, जन जाति (एससी, एसटी) प्रवर्ग में बोगस प्रमाणपत्र के आधार पर शासकीय और शैक्षणिक संस्थानों नौकरी पाने वाले कर्मचारियों को हटाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है. इसके लिए कोर्ट ने राज्य सरकारको सात महीने का समय दिया है. यह सात महीने अब पूरे होने को हैं.

कोर्ट के इस निर्णय से राज्य के लगभग 11 हजार 700 शासकीय और शैक्षणिक कर्मचारियों का भविष्य संकट में पड़ गया है. इनमें से ऐसे अनेक कर्मचारी हैं, जो पिछले दो दशकों से शासकीय सेवा में कार्यरत हैं.

जुलाई 2017 में ही कोर्ट ने दिया था आदेश

इस आशय का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2017 में आदेश दिया था. आदेशानुसार, जो व्यक्ति नकली प्रमाणपत्र के आधार पर शासकीय नौकरियां पाने दोषी रहे हैं, उन्हें अब अपनी नौकरी गंवानी पड़ेगी.

मुख्य सचिव पर भी लटकी कोर्ट के अवमानना की तलवार

किन्तु अभी तक कोर्ट के फैसले को लागू नहीं करने पर राज्य के मुख्य सचिव के विरोध में न्यायालय की अवमानना की याचिका दाखिल कर दी गई है. इस कारण अब मुख्य सचिव ने सामान्य प्रशासन विभाग को कोर्ट का आदेश जल्द से जल्द लागू करने का आदेश दे दिया है.

क्लर्क से लेकर उपसचिव स्तर तक के लोग शामिल

बोगस प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी नौकरी पाने का मामला देश के अन्य राज्यों में सामने आ चुका है. किन्तु महाराष्ट्र में ऐसा मामला पहले कभी सामने नहीं आया. अब इस मामले के सामने आने से राज्य शासन के समक्ष नई मुश्किलें खड़ी होने की संभावना बन गई है. बोगस प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने वाले एसटी और एससी प्रवर्ग के 11 हजार 700 कर्मचारियों में क्लर्क से लेकर उपसचिव स्तर तक के लोग शामिल हैं.

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