टीकाराम साहू के व्यंग्य ‘देखन में छोटे लगे घाव करे गंभीर’

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टीकाराम

व्यंग्य संग्रह ‘परिपक्व लोकतंत्र है जी!’ के प्रकाशन के उपलक्ष्य में व्यंग्यकार ‘आजाद’ का सत्कार

नागपुर : व्यंग्यकार व पत्रकार टीकाराम साहू ‘आजाद’ के व्यंग्य ‘देखन में छोटे लगे घाव करे गंभीर’ को चरितार्थ करते हैं. उनके व्यंग्य सिर्फ चुभन ही नहीं देते, गुदगुदाते ही नहीं, बल्कि सोचने के लिए भी प्रेरित करते हैं. यह बात शिक्षाविद डॉ. ओमप्रकाश मिश्रा ने कही.

व्यंग्यकार व पत्रकार टीकाराम साहू ‘आजाद’ के चर्चित दूसरे व्यंग्य संग्रह ‘परिपक्व लोकतंत्र है जी!’ के प्रकाशन के उपलक्ष्य में लोहिया अध्ययन केंद्र के मधु लिमये स्मृति सभागृह में उनका भावभीना सत्कार किया गया. इस अवसर पर डॉ. मिश्रा बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. ओमप्रकाश मिश्रा तथा विशेष अतिथि के रूप में कोषाध्यक्ष संजय सहस्रबुद्धे उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता महासचिव न्या. संजय बुरडकर ने की. डॉ. मिश्रा ने ‘जब गांधीजी रो पड़े’ व्यंग्य का जिक्र करते हुए कहा कि समाज की विसंगतियों पर करारा प्रहार किया गया है. उनके व्यंग्य धारदार होते हैं. इनमें मनुष्य और व्यवस्था परिवर्तन की कामना भी है.

केंद्र के ट्रस्टी संतोष कुमार दुबे ने कहा कि टीकाराम साहू ‘आजाद’ बड़ी बेबाकी से व्यवस्था का पोस्टमार्टम करते हैं. इस अवसर पर एसएन बुटोलिया तथा अमित कुमार प्रभाकर ने भी अपने विचार व्यक्त किए.

सत्कार के जवाब में टीकाराम साहू ‘आजाद’ ने कहा कि व्यंग्य के माध्यम से विसंगतियों पर सीधे प्रहार किया जा सकता है. व्यंग्यों में आम आदमी की पीड़ा और आक्रोश की अभिव्यक्ति सहज रूप से संभव होती है. उन्होंने बताया कि 10 साल बाद उनका दूसरा व्यंग्य संग्रह आया है, जिसमें 39 व्यंग्य हैं.

कार्यक्रम में अनिल त्रिपाठी, एस.जी. रायकवार, नरेंद्र परिहार, अधि. गिरीश दादिलवार, संजय कटकमवार, अश्विन पांडे सहित बड़ी संख्या में हितचिंतक उपस्थित थे. प्रास्ताविक हिंदी अधिकारी डॉ. जयप्रकाश ने तथा कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार अजय पांडे ने किया. आभार सचिव सुनील पाटिल ने माना.

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