अब भारत सरकार और EPFO के दलीलों पर आधारित याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 17 अगस्त से दैनंदिन आधार पर करने का निर्णय किया है. सेवानिवृत्ति के बाद दो-तीन सौ रुपए से लेकर हजार-दो हजार रुपए की मामूली मासिक पेंशन राशि पर कठिनाई से गुजर-बसर कर रहे लाखों की संख्या में EPS-95 पेंशनर्स के दिलों में यह आस जगी है कि सुप्रीम कोर्ट, भारत सरकार और EPFO को न्यायोचित मार्ग दिखाएगा.
नई दिल्ली : भारत सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट मंगलवार, 17 अगस्त 2021 से प्रतिदिन के आधार पर करेगा. शीर्ष कोर्ट ने गुरुवार (12 अगस्त) को केरल हाई कोर्ट के एक फैसले के विरुद्ध इन याचिकाओं की सुनवाई स्थगित कर दी थी, जिसमें कहा गया था कि कर्मचारियों की पेंशन को 15,000 रुपए तक सीमित नहीं किया जा सकता है और यह अंतिम आहरित वेतन के समानुपाती होना चाहिए.
न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित करते हुए कहा, “हम इस मामले को आंशिक सुनवाई के रूप में चिह्नित करेंगे और हम इसे मंगलवार को आइटम 1 के रूप में रखेंगे. इस स्तर पर, हम कुछ भी करने में सक्षम नहीं होंगे, लेकिन इसे केवल आंशिक सुनवाई के रूप में सूचीबद्ध करेंगेे. हम लीड के साथ शुरू करेंगे. पहले मामले और मुख्य मामले में पेश होने वाले किसी भी वकील, हम उन्हें पहले सुनेंगे.
25 फरवरी, 2021 को, न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की खंडपीठ ने यह निर्दिष्ट करते हुए कि मामले को दिन-प्रतिदिन के आधार पर लिया जाएगा और प्रमुख मामलों को सूचीबद्ध किया था. साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार और EPFO के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने पर रोक लगा दी थी. केरल, दिल्ली और राजस्थान के उच्च न्यायालय के फैसले को लागू नहीं करने पर अवमानना के मामले दायर किए गए थे.
इस संबंध में अदालत ने अपने आदेश में कहा, “आगे विचार करने तक, उपरोक्त चार श्रेणियों के मामलों में पारित किसी भी आदेश को लागू करने की मांग करने वाली कोई अवमानना आवेदन पर किसी भी अदालत द्वारा विचार नहीं किया जा सकेगा.”
साथ ही, 29 जनवरी, 2021 को केंद्र सरकार और EPFO को राहत देते हुए, जस्टिस उदय उमेश ललित, एस. हेमंत गुप्ता और रवींद्र भट की बेंच ने केरल हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज करने के अपने आदेश को वापस ले लिया था, जिसने कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 को अलग कर दिया, जिसमें अधिकतम पेंशन योग्य वेतन को 15,000 रुपए प्रति माह तक सीमित कर दिया था और फरवरी को प्रारंभिक सुनवाई के लिए भारत सरकार और EPFO द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर एसएलपी को पोस्ट किया था. केंद्र सरकार का तर्क था कि उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के परिणामस्वरूप, कर्मचारियों को पूर्वव्यापी रूप से लाभ प्रदान किया जाएगा तो एक बड़ा वित्तीय असंतुलन पैदा करेगा.
केरल उच्च न्यायालय 2018 का फैसला
केरल उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2018 में, EPFO के विविध अधिसूचनाओं एवं अधिनियम 1952 के प्रावधानों के तहत विभिन्न प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों द्वारा दायर रिट याचिकाओं को अनुमति दी. उनकी शिकायत कर्मचारी पेंशन में किए गए परिवर्तनों के साथ थी. जिसमें EPFO ने उन्हें देय EPS-95 पेंशन में भारी कमी कर दी. सुनवाई उच्च न्यायालय ने EPFO द्वारा किए गए इन परिवर्तनों को अवैध करार दे दिया था.
EPFO ने क्या परिवर्तन किए हैं कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 में?
यह परिवर्तन अधिकतम पेंशन योग्य वेतन 15,000 रुपए प्रति माह तक सीमित करता है. संशोधन से पहले, हालांकि अधिकतम पेंशन योग्य वेतन केवल 6,500 रुपए प्रति माह था, उक्त पैराग्राफ के प्रावधान ने एक कर्मचारी को उसके द्वारा प्राप्त वास्तविक वेतन के आधार पर पेंशन का भुगतान करने की अनुमति दी, उसके द्वारा योगदान दिया था. इस योजना को बाद की अधिसूचना, कर्मचारी पेंशन (पांचवां संशोधन) योजना, 2016 द्वारा और संशोधित किया गया है, ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि मौजूदा सदस्यों के लिए पेंशन योग्य वेतन, 15,000 रुपए पर आधारित होगा.
EPFO ने अपनी नई अधिसूचनाओं में प्रावधान किया है कि मासिक पेंशन, 1 सितंबर, 2014 तक पेंशन योग्य सेवा के लिए आनुपातिक आधार पर 6,500 रुपए के अधिकतम पेंशन योग्य वेतन पर और उसके बाद की अवधि के लिए 15,000 रुपए प्रति माह के अधिकतम पेंशन योग्य वेतन पर निर्धारित की जाएगी.
EPFO द्वारा दायर SLP हो चुका है खारिज
उपरोक्त अधिसूचनाओं के समर्थन में और केरल हाई कोर्ट के निर्णय के विरोध में EPFO द्वारा दायर SLP आरम्भ में ही 01 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के बेंच ने खारिज कर दिया था.
ईपीएफओ ने दायर की समीक्षा याचिका और केंद्र ने एसएलपी
इस बर्खास्तगी के बाद केंद्र ने हाईकोर्ट के उसी फैसले के खिलाफ भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में SLP और EPFO ने समीक्षा याचिकाएं दायर की. जब इन मामलों को लिया गया, तो केंद्र ने न्यायालय के ध्यान में केरल उच्च न्यायालय की एक अन्य खंडपीठ द्वारा 21.12.2020 को पारित एक आदेश लाया, जिसमें 12.10.2018 के पहले के निर्णय की शुद्धता पर संदेह किया गया और मामला हाईकोर्ट की फुल बेंच को रेफर कर दिया. यह दलील दी गई कि उच्च न्यायालय के आक्षेपित आदेश का प्रभाव बहुत अधिक वित्तीय असंतुलन पैदा करेगा.
अब भारत सरकार और EPFO के इन दलीलों पर आधारित याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 17 अगस्त से दैनंदिन आधार पर करने का निर्णय किया है. सेवानिवृत्ति के बाद दो-तीन सौ रुपए से लेकर हजार-दो हजार रुपए की मामूली मासिक पेंशन राशि पर कठिनाई से गुजर-बसर कर रहे लाखों की संख्या में EPS-95 पेंशनर्स के दिलों में यह आस जगी है कि सुप्रीम कोर्ट भारत सरकार और EPFO को न्यायोचित मार्ग दिखाएगा.