सुमतीताई

सुमतीताई के जन्म शताब्दी का समापन सभी को भावुक कर गया 

नागपुर
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नागपुर : “सुमतीताई ने ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में बहुत संघर्ष किया जब अनेक लोग उनके विरोध में खड़े थे. ताई के संघर्ष की समृद्ध विरासत के दम पर ही हम सफलता हासिल कर पाए हैं.” मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने उनके प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ताई सहित कई निःस्वार्थ कार्यकर्ताओं द्वारा रखी गई नींव पर ही आज हम चरमोत्कर्ष तक पहुंचने में सफल रहे. उन्होंने कहा कि सुमतीताई न केवल एक योद्धा मां थीं, बल्कि उन्हें लोगों की मां भी कहा जाता था.

वह रेवरेंड सुमतीताई सुकलीकर के जन्म शताब्दी समारोह में बोल रहे थे. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, सलाहकार मीराताई खटकर, कार्यक्रम आयोजक अनिल सोले, पूर्व प्रो-चांसलर योगानंद काले, उपेन्द्र कोठेकर, पूर्व विधायक अरुणभाऊ अडसड, चैनसुख संचेती और गणमान्य लोग उपस्थित थे. साथ ही विधायक कृष्णा खोपड़े, विधायक प्रवीण दटके, विधायक चरण सिंह ठाकुर, पूर्व मंत्री शोभाताई फडणवीस समेत गणमान्य लोग भी उपस्थित थे.

सुमतीताई

फडणवीस ने अपने बचपन  दिनों को याद करते हुए बताया कि मेरे लिए, मेरे पिता गंगाधर राव और चाचा बाला साहेब के घर से अधिक असली सुमतीताई का घर था. मेरा विकास उनके द्वारा स्थापित बाल जगत के माध्यम से हो सका. उनके कारण ही मैं बचपन में पहली बार एक नाटक प्रतियोगिता के माध्यम से दिल्ली जा सका. मुख्यमंत्री फडणवीस अपनी पुरानी यादों को याद करते हुए भावुक हो गए और कहा कि मेरे जैसे अनेक बच्चों को संस्कारित करने की जिम्मेदारी उन्होंने बखूबी निभाई. 

मुख्यमंत्री ने चीन के साथ 1962 के युद्ध काल की उस घटना को भी याद किया, जब नागपुर के तत्कालीन कलेक्टर ने ताई से मदद मांगी थी. ताई से उन्होंने कहा कि नागपुर से लगभग 700 से 800 सैनिकों की एक टुकड़ी चीन से युद्ध के लिए जा रही है. चुनौती सिर्फ चार घंटे में उनका खाना तैयार करने की है, क्या वे इसमें उनकी मदद कर सकती हैं, ताई ने तुरंत हामी भरी और अपनी सहयोगी  साथ मिलकर यह जिम्मेदारी बखूबी निभाई. मुख्यमंत्री ने बताया कि देश सेवा के लिए सदैव तत्पर रहने वाली ताई ने इस जिम्मेदारी को कुशलतापूर्वक निभाया सभी सैनिकों तक भोजन पहुंचाया. 

ताई ने विपरीत परिस्थितियों में भी जनसेवा का दीपक जलाए रखा – नितिन गडकरी

ताई का समय संघर्ष का था. चुनाव में हार के बावजूद सुमतीताई के संघर्ष को भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने इस हार पर दुःखी तो हुईं पर काम पर वापस लौटकर लोगों के न्याय की लड़ाई जारी रखीं. फिर से चुनाव और फिर हार. वह लड़ती रहीं. उन्होंने मैदान नहीं छोड़ा. केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि उन्होंने हमारी सफलता में उसी तरह योगदान दिया, जैसे तूफानों के बीच भी मोमबत्ती जलती रहती है. 

इस अवसर पर राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ताई के जीवन कार्यों की स्मृतियां उजागर की. उन्होंने कहा कि वह एक योद्धा थी. राजनीति में कहां लड़ना है, कहां रुकना है, इसके आदर्श उदाहरण के तौर पर उन्हें देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि हमें उनके जीवन के कार्यों का फल का मिला है.

ताई के जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद बुजुर्गों और कार्यकर्ताओं का सम्मान किया. इस अवसर पर, गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सुमतीताई के जीवन कार्यों पर प्रकाश डालने वाला एक विशेषांक जारी किया गया.