पतंजलि के च्यवनप्राश उत्पादों के विज्ञापनों पर रोक लगाने की मांग कर डाली
विदर्भ आपला : अपने आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए देश की मशहूर कंपनी डाबर ने बाबा रामदेव की पतंजलि के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. डाबर ने पतंजलि के उस विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग की है. इस विज्ञापन में कथित तौर पर उसके च्यवनप्राश उत्पादों के खिलाफ पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपमानजनक विज्ञापन चलाने के आरोप हैं.
उधर कवि कुमार विश्वास ने भी पतंजलि आयुर्वेद के नमक पर मेरठ में अपने एक कार्यक्रम में बाबा रामदेव की क्लास लगा दी है. इस वीडियो को स्ट्रीट्स ऑफ मेरठ के इंस्टाग्राम हैंडल से पोस्ट किया गया है, जिसे देख लोग मजे ले रहे हैं. लोगों का मत है कि इसमें कोई शक नहीं कि आयुर्वेद और स्वदेशी का सबसे अधिक प्रचार-प्रसार बाबा रामदेव ने ही की है. लेकिन, पतंजलि आयुर्वेद के द्वारा जारी विज्ञापनों में “दंभ, झूठ और अहंकार” के कारण ही पतंजलि के उत्पादों की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में है.
पिछले मंगलवार को दायर अपनी याचिका में डाबर ने आरोप लगाया है कि पतंजलि आयुर्वेद उसके च्यवनप्राश उत्पादों के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन चला रही है. याचिका में डाबर ने पतंजलि को तुरंत अपमानजनक विज्ञापन चलाने से रोकने के लिए आदेश देने की मांग की है.
डाबर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने दलील दी कि पतंजलि आयुर्वेद एक आदतन अपराधी है. इसके साथ ही उन्होंने इस साल की शुरुआत में उसके खिलाफ दर्ज अवमानना याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लेख किया, जिसमें पतंजलि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने अखबारों में लिखित माफीनामा छपवाया था.
डाबर ने अपनी अर्जी में कहा कि वह स्वामी रामदेव के एक विज्ञापन से व्यथित है, जिसमें वह कहते हैं, “जिनको आयुर्वेद और वेदों का ज्ञान नहीं, चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि और च्यवनऋषि की परंपरा में ‘असली’ च्यवनप्राश कैसे बना पाएंगे?” (यह बताते हुए कि केवल पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश ही ‘असली’/प्रामाणिक है; और बाजार में अन्य च्यवनप्राश के निर्माताओं को इस परंपरा के बारे में कोई जानकारी नहीं है, और परिणामस्वरूप, वे सभी नकली/’साधारण’ हैं).
सिब्बल के अनुसार, अन्य च्यवनप्राश को ‘साधारण’ कहना यह दर्शाता है कि वे घटिया हैं. उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव की पतंजलि का विज्ञापन च्यवनप्राश की पूरी श्रेणी को अपमानित करता है, जो एक पुरानी आयुर्वेदिक दवा है. सिब्बल ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि सभी च्यवनप्राश को प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में उल्लिखित विशिष्ट फॉर्मूलेशन और अवयवों का पालन करना चाहिए, जिससे “साधारण” च्यवनप्राश की धारणा भ्रामक और डाबर जैसे प्रतिस्पर्धियों के लिए हानिकारक है, क्योंकि इस सेगमेंट में 61.6% बाजार की हिस्सेदारी डाबर की है.
डाबर की अर्जी पर जस्टिस मिनी पुष्करणा ने संबंधित पक्ष को नोटिस जारी किया है और अंतरिम आदेशों पर विचार करने के लिए जनवरी के अंतिम सप्ताह में मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है.