छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा के ढहने पर जताया दुःख
मुंबई : सिंधुदुर्ग जिले की मालवण तहसील में राजकोट किले में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट की ऊंची प्रतिमा पिछले दिनों 26 अगस्त को ढह गई. इस घटना के बाद महाराष्ट्र के विपक्षी दलों में उबाल आ गया. राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए अधिकारियों की एक टीम गठित की है. वहीं आज, ३० अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पालघर दौरे पर इस हादसे को लेकर सिर झुकाकर माफी मांगी.
विपक्ष को लिया आड़े हाथों
उन्होंने कहा, “आज मैं अपने भगवान छत्रपति शिवाजी महाराज से सिर झुकाकर माफी मांगता हूं. हमारे संस्कार अलग हैं, हम वो लोग नहीं हैं, जो भारत माता के महान सपूत, इस धरती के सपूत वीर सावरकर को गाली देते रहें और उनका अपमान करते रहें. वे माफी मांगने के लिए तैयार नहीं हैं, वे अदालतों में जाकर लड़ने के लिए तैयार हैं.”
शिवाजी महाराज को बताया आराध्य देव
पीएम मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “जब साल 2013 में भारतीय जनता पार्टी ने मुझे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुना था तो मैंने रायगढ़ के किले के पर जाकर प्रार्थना की थी. एक भक्त अपने आराध्य को जिस भावना से आराधना करता है, उस भावना से देश सेवा करने आया था.”
पीएम मोदी ने इस दौरान पालघर में बधावन बंदरगाह की आधारशिला रखी. साथ ही 1,560 करोड़ रुपए के मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया. इस दौरान उन्होंने ने फिनटेक प्रदर्शनी भी देखी.
विरोधी दल विकास पर लगा रहे ब्रेक
उन्होंने महाराष्ट्र की जनता को अपना संदेश देते हुए कहा, “महाराष्ट्र का विकास मेरी बहुत बड़ी प्राथमिकता है. आज भारत की प्रगति में महाराष्ट्र बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि महाराष्ट्र विरोधी दलों ने आपके विकास पर हमेशा ब्रेक लगाने की कोशिश की है. हमारे देश को वर्षों से दुनिया के साथ व्यापार के लिए एक बड़े और आधुनिक पोर्ट की जरूरत थी, इसके लिए महाराष्ट्र का पालघर ही सबसे उपयुक्त जगह है, लेकिन इस प्रोजेक्ट को 60 वर्षों तक लटका कर रखा गया. इतने जरूरी काम को कुछ लोग शुरू नहीं होने दे रहे थे. ”
समुद्र तट विकास की एक दशक की उपलब्धि
प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा,”पिछले 1 दशक में भारत के समुद्री तट पर विकास ने अभूतपूर्व गति पकड़ी है, हमने बंदरगाहों का आधुनिकीकरण किया है. साथ जलमार्गों का विकास किया है. इस दिशा में लाखों-करोड़ों रुपए का निवेश किया गया है. निजी निवेश भी बढ़ा है. इसका लाभ हमारे युवाओं को मिल रहा है, उन्हें नए अवसर मिल रहे हैं. आज पूरी दुनिया की नजर वाधवन पोर्ट पर है. इससे इस पूरे क्षेत्र की आर्थिक तस्वीर बदल जाएगी.”
तीन दिन, तीन माफी और विपक्ष
छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने की घटना को लेकर अब तक तीन नेता माफ़ी मांग चुके हैं. विपक्षी दलों के विरोध के बीच भाजपा के सहयोगी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बुधवार छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने की घटना के लिए महाराष्ट्र के लोगों से सिर झुकाकर माफी मांगी.
इसके आलोचनाओं से घिरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एक दिन बाद गुरुवार को कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वह इस पराक्रमी शासक के 100 बार पैर छूने और घटना के लिए सिर झुकाकर माफी मांगने में संकोच नहीं करेंगे.
और इसके एक दिन बाद आज, शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर माफी मांगी. वे पालघर में बाधवन बंदरगाह की आधारशिला रखने और 1,560 करोड़ रुपए के मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने आए थे.
विपक्षी दलों का मोर्चा 1 सितंबर को
दूसरी ओर, इस पूरे मामले में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) अपनी राजनीतिक पकड़ बनाए रखने के लिए 1 सितंबर को मुंबई में मार्च निकालेगी. इसमें शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार) और कांग्रेस के प्रमुख नेता शामिल होंगे.