बेटे बाबूलाल सोरेन संग भाजपा में हुए शामिल
रांची : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक सदस्य चंपई सोरेन आज यानी शुक्रवार को भाजपा के भगवा रंग में रंग गए . चंपई सोरेन के साथ उनके बेटे बाबूलाल सोरेन भी भाजपा में शामिल हो गए हैं. चंपई सोरेन ने रांची में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा, झारखंड भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ, और पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की.
भावुक हुए चंपई सोरेन
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने माला और पार्टी का भगवा दुपट्टा पहनाकर चंपई सोरेन का स्वागत किया. इस मौके पर चंपई सोरेन भावुक हो गए. पार्टी में शामिल होने के बाद चंपई ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी जासूसी कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि पत्र के जरिये मैं अपनी पीड़ा व्यक्त कर चुका हूं. झामुमो में अपमान महसूस करने पर मैंने संन्यास लेने को सोचा था, लेकिन झारखंड की जनता का प्यार देखकर सक्रिय राजनीति में आने का फैसला किया.
उन्होंने कहा, ‘झारखंड आंदोलन का उतार-चढ़ाव हमने देखा है. मैं सोच चुका था कि मैं उस संगठन में नहीं रहूंगा, जिसमें मेरा मान न हो और जहां संगठन नाम की कोई चीज नहीं रह गई हो.’ उन्होंने कहा कि मैं साफ दिल का आदमी हूं. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे पीछे जासूसों को लगाया जाएगा. जो आदमी झारखंड आंदोलन में संघर्ष किया है, जब उसकी जासूसी होने लगी तो मैंने तय कर लिया कि अब मैं संन्यास की जगह सक्रिय राजनीति में रहकर जनता की सेवा करूंगा.
“JMM में मेरे साथ राजनीति हुई”
चंपई सोरेन ने कहा कि खून-पसीना बहाकर हमने जिस संगठन को खड़ा किया, उस संगठन में मेरे साथ राजनीति हुई. मैंने तभी कह दिया था कि हम ऐसी पार्टी में नहीं रह सकते. हम उस पार्टी में नहीं रह सकते, जहां अपनी पीड़ा भी न बता सकें. एक बार मेरे मन में आया कि मैं राजनीति छोड़ दूंगा. संन्यास ले लूंगा. फिर सोचा कि नया संगठन बनाऊंगा.
चंपई सोरेन ने कहा कि अब भारतीय जनता पार्टी की जो रणनीति होगी, हमें जो काम दिया जाएगा, उसके अनुसार काम करूंगा. बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे पर भाजपा एकमात्र पार्टी है, जो मुखर होकर बोलती है. मैं जन-जन तक इस बात को पहुंचाऊंगा और झारखंड के आदिवासियों को बचाने में अपनी भूमिका निभाऊंगा.
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि चंपई सोरेन भाजपा के लिए और झारखंड को बचाने के लिए एक संपत्ति हैं. वह ऐसे नेता हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री बनकर झारखंड को सही रास्ते पर लाने का काम किया और उसी का नतीजा है कि उनकी जासूसी शुरू कर दी गई.
‘झारखंड का टाइगर‘
1990 के दशक में अलग राज्य बनाने की लड़ाई में उनके योगदान के लिए चंपई को ‘झारखंड का टाइगर’ उपनाम मिला है. झारखंड को 2000 में बिहार के दक्षिणी हिस्से से अलग करके बनाया गया था. 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव इस साल के अंत में होने हैं.
भाजपा के लिए गेम चेंजर और ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं
बात अगर चंपई सोरेन को लेकर भाजपा के दांव की करें तो, आने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव भगवा रंग में चंपई सोरेन भाजपा के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकते हैं. क्योंकि चंपई सोरेन झारखंड की प्रभावशाली संथाल जनजाति से ताल्लुक रखते हैं.
बात अगर वोट बैंक की करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड की कुल जनसंख्या 3 करोड़ 29 लाख 88 हजार 134 में आदिवासियों की संख्या 86 लाख 45 हजार 42 है. इसमें भी अकेले संथाल आबादी 27 लाख 54 हजार 723 लाख है. चंपई सोरेन की गिनती संथाल जनजाति के शीर्ष नेताओं में होती है. देखा जाए तो एक बड़ा वोट बैंक चंपई सोरेन के साथ है, इसी बात के मद्देनजर भाजपा के लिए भगवा रंग में चंपई सोरेन एक ट्रंप कार्ड हो सकते है.