नवरात्रि की अष्टमी व नवमी तिथि एक ही दिन पड़ रही है. इस साल अष्टमी का व्रत 11 अक्टूबर को रखा जाएगा और इस दिन ही महानवमी मनाई जाएगी. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, नवरात्रि में चतुर्थी तिथि की वृद्धि व नवमी का क्षय होने के कारण यह स्थिति बनी है. ज्योतिष गणना के अनुसार, इस साल अष्टमी व नवमी के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जिससे इस दिन की महत्ता और बढ़ रही है.
अष्टमी व नवमी पर बन रहे शुभ संयोग-
11 अक्टूबर को अष्टमी तिथि दोपहर 12 बजकर 06 मिनट तक रहेगी और इसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ होगी. इस साल अष्टमी व नवमी का त्योहार एक ही दिन 11 अक्टूबर को है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि व रवि योग के अलावा सुकर्मा व धृति योग भी बन रहेहैं।
सनातन धर्म में सुकर्मा योग व धृति योग अत्यंत शुभ माने गए हैं. मान्यता है कि इस दौरान कार्यों को करने से उनकी सफलता हासिल होती है.
कब करें कन्या पूजन ?
धर्म पंडितों के अनुसार शारदीय नवरात्र की अष्टमी एवं नवमी 11 अक्टूबर को है. आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर होगा. इसके बाद नवमी तिथि पड़ रही है. अतः अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करने वाले 12 बजे से पहले कन्या पूजन कर सकते हैं. हालांकि, नवमी तिथि शुरू होने के बाद विधिपूर्वक मां सिद्धिदात्री की पूजा करें. इसके बाद अन्न और धन का दान कर व्रत खोलें.
अगर आप नवमी तिथि पर कन्या पूजन करना चाहते हैं, तो 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट के बाद कन्या पूजन कर सकते हैं. आप चाहे तो 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से पहले भी कन्या पूजन और नवमी पूजन कर सकते हैं. इसके बाद शास्त्र नियमों के तहत व्रत खोल सकते हैं.
साधक अपनी सुविधा के अनुसार 11 अक्टूबर को सुबह या दोपहर के समय में कन्या पूजन कर सकते हैं. हालांकि, शारदीय नवरात्र का व्रत दोपहर 12 बजकर 08 मिनट के बाद ही खोलें. वहीं, 11 अक्टूबर को अष्टमी का व्रत रखने वाले साधक 12 अक्टूबर को 10 बजकर 58 मिनट तक व्रत खोल सकते हैं.