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अनंत में विलीन हो गए देश के ‘रतन’

देश मुंबई
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मुंबई : देश के प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा का अंतिम संस्कार गुरुवार शाम मध्य मुंबई स्थित श्मशान घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया. मुंबई पुलिस ने बंदूकों की सलामी के साथ टाटा को श्रद्धांजलि दी.

उद्योग जगत के इस दिग्गज के परिवार के सदस्य, जिनमें उनके सौतेले भाई नोएल टाटा और टाटा समूह के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन जैसे शीर्ष अधिकारी शामिल थे, वर्ली स्थित श्मशान घाट पर मौजूद थे.

इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उनके कैबिनेट सहयोगी पीयूष गोयल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे, मनसे नेता ठाकरे, कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे सहित अन्य लोग भी मौजूद थे.

इस अवसर पर उद्योग जगत के मुकेश अंबानी सहित अनेक बड़े उद्योगपति और बॉलीवुड के सितारे भी भारी संख्या में उपस्थित थे. 

श्मशान घाट पर मौजूद एक पुजारी ने बताया कि अंतिम संस्कार पारसी परंपरा के अनुसार किया गया. उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार के बाद दक्षिण मुंबई के कोलाबा स्थित बंगले में तीन दिन तक अनुष्ठान किए जाएंगे. 

पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा (86) का बुधवार देर रात मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया था.

दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में शामिल रतन टाटा अपनी शालीनता और सादगी के लिए मशहूर रहे. लेकिन वह कभी अरबपतियों की किसी सूची में नजर नहीं आए. वह 30 से ज्यादा कंपनियों के कर्ताधर्ता थे, जो छह महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में फैली हैं. उन्होंने अपना जीवन एक संत की तरह जीया. सरल व्यक्तितत्व के धनी टाटा एक कॉरपोरेट दिग्गज थे, वहीं अपनी शालीनता और ईमानदारी के बूते वह एक संत की तरह जिए. टाटा ने कभी शादी नहीं की.

भारत के सबसे सफल उद्योगपतियों में से एक होने के साथ-साथ, वह अपनी परोपकारी गतिविधियों के लिए भी जाने जाते थे. परोपकार में उनकी व्यक्तिगत भागीदारी बहुत पहले ही शुरू हो गई थी. वर्ष 1970 के दशक में, उन्होंने आगा खान अस्पताल और मेडिकल कॉलेज परियोजना की शुरुआत की, जिसने भारत के प्रमुख स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में से एक की नींव रखी. साल 1991 में टाटा संस के चेयरमैन के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद, टाटा के परोपकार संबंधी प्रयासों को नई गति मिली. उन्होंने अपने परदादा जमशेदजी द्वारा स्थापित टाटा ट्रस्ट को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया, ताकि महत्वपूर्ण सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके. रतन टाटा ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज जैसे उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की. साल 2008 में उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.