भाई दूज

भाई दूज में मुहूर्त और राशि के अनुसार तिलक का भी है बड़ा महत्व!

जीवन शैली
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भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भाई दूज पर्व बड़ी धूमधाम से तीन नवंबर को मनाया जाएगा. ज्ञातव्य है कि प्रत्येक साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. इस खास अवसर पर बहनें अपने भाई का तिलक लगाती हैं और भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए कामना करती हैं. 

पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि की इस वर्ष शुरुआत 02 नवंबर, 2024 को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगी, वहीं इस तिथि का समापन 03 नवंबर, 2024 को होगा. पंचांग के आधार पर इस साल भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर 2024 दिन रविवार को मनाया जाएगा. 

भाई दूज का शुभ मुहूर्त

भाई दूज अपराह्न समय – दोपहर 01 बजकर 10 से दोपहर 03 बजकर 22 मिनट तक

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 51 मिनट से 05 बजकर 43 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से 02 बजकर 38 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 34 मिनट से 06 बजे तक

राशि अनुसार भाई को तिलक लगाएं

  • मेष राशि – अगर आपके भाई की राशि मेष है, तो उसको केसरिया तिलक लगाएं
  • वृषभ राशि – आपके भाई की राशि वृषभ है तो केसरिया रंग में थोड़ी हल्दी मिलाकर तिलक करें
  • मिथुन राशि – अगर आपके भाई की राशि मिथुन है, तो लाल रंग के सिंदूर से तिलक करें
  • कर्क राशि – आपके भाई की राशि कर्क है तो केसरिया रंग में थोड़ी हल्दी मिलाकर तिलक करें
  • सिंह राशि – आपका भाई सिंह राशि का है, तो केसरिया तिलक लगाएं
  • कन्या राशि – अगर  आपके भाई की राशि कन्या है तो लाल रंग के सिंदूर से तिलक करें
  • तुला राशि – आपके भाई की राशि तुला है तो केसरिया रंग में थोड़ी हल्दी मिलाकर तिलक करें
  • वृश्चिक राशि – आपका भाई वृश्चिक राशि का है, तो केसरिया तिलक लगाएं
  • धनु राशि – अगर  आपके भाई की राशि धनु है तो हल्दी का तिलक लगाएं
  • मकर राशि – भाई की राशि मकर है तो लाल रोली में चन्दन मिलाकर तिलक करें
  • कुंभ राशि – आपके भाई की राशि कुंभ है तो लाल रोली में चन्दन मिलाकर तिलक करें
  • मीन राशि – अगर आपके भाई की राशि मीन है तो उसे हल्दी का तिलक लगाएं

  • क्यों मनाते हैं भाई दूज
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान यम अपनी बहन यमुना से मिले थे. उस समय मां यमुना ने यम देवता का आदर-सत्कार किया और उन्हें भोजन कराया. इससे यम देव अति प्रसन्न हुए. उन्होंने वचन दिया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर जो कोई अपनी बहन से मिलने उनके घर जाएगा, उस व्यक्ति की हर मनोकामना अवश्य ही पूरी होगी. साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होगी. भगवान याम और बहन यमुना के इसी प्रेम से भाई दूज मनाने की शुरुआत हुई.