भार्गवास्त्र

भार्गवास्त्र : सोलर ग्रुप ने इजाद किया Drone Killer माइक्रो मिसाइल 

देश नागपुर
Share this article

नागपुर : सभी आवश्यक परीक्षणों में सफल स्थानीय सोलर ग्रुप कंपनी के Economic Explosives Ltd. ने अपनी पहल पर ‘भार्गवस्त्र‘ नामक ‘काउंटर-ड्रोन सिस्टम’ भारतीय सेना के लिए विकसित किया है. अगर सेना या अन्य सशस्त्र बलों को यह सिस्टम उनकी जरूरतों के हिसाब से उपयुक्त लगता है, तो भविष्य में जारी किए जाने वाले आरएफपी (Request for proposal) के आधार पर इसे सशस्त्र बलों को पेश किया जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि कंपनी 

भार्गवास्त्र का निर्यात करने के लिए भी तैयार है. कंपनी ने इस काउंटर-ड्रोन सिस्टम भार्गवास्त्र को सशस्त्र बलों से औपचारिक मांग के बिना ही विकसित कर लिया है. सामान्य तौर पर, सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र की संस्थाएं सशस्त्र बलों की मांग (RPF) के आधार पर हथियार प्रणाली विकसित करती हैं. 

ड्रोन किलर इस भार्गवास्त्र (Bhargavastra) का नामकरण सोलर ग्रुप ने उस प्राचीन और पौराणिक अस्त्र भार्गवास्त्र पर किया है, जिसे ऋषि परशुराम ने कर्ण को दिया था. ‘महाभारत’ के अनुसार इसने एक ही झटके में पांडवों की एक अक्षुणी सेना को खत्म कर दिया था.

सोलर ग्रुप ने इससे पूर्व ‘नागास्त्र‘ लोइटरिंग म्यूनिशन भी विकसित किया है. ये कामिकेज़-शैली के ड्रोन हैं, जो लक्ष्य के ऊपर मंडरा सकते हैं और हमला कर सकते हैं. पिछले महीने सोलर ने सेना को 480 नागास्त्र की आपूर्ति की थी. दूसरी ओर, सोलर ग्रुप का यह नया भार्गवास्त्र ऐसे ड्रोन हमलों का मुकाबला करने के लिए एक अत्यंत प्रभावी प्रणाली साबित होने वाला है.

कंपनी सूत्रों के अनुसार ओडिसा समुद्र तट के गोपालपुर रेंज में हाल ही के परीक्षणों के दौरान माइक्रो मिसाइलों को फायर कंट्रोल सिस्टम द्वारा दागा गया. मिसाइल को 2,500 मीटर की ऊंचाई पर और जमीन से 400 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित वर्चुअल लक्ष्य की ओर निर्देशित किया गया. इसके अलावा, उड़ते हुए यूएवी (Unmanned Aerial Vehicles) को नियंत्रित करते हुए इलेक्ट्रॉनिक लक्ष्य पर भी इसका परीक्षण किया गया. कंपनी के सूत्रों ने बताया कि माइक्रो मिसाइलों ने एक बेहतरीन हिट हासिल की.

सूत्रों ने बताया कि यह यूएवी ड्रोन किलर बहुत ही सस्ती माइक्रो मिसाइल है. इस प्रणाली को विविध भारतीय भूभागों पर प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए इंजीनियर किया गया है. देश की सेना के लिए विकसित इस प्रणाली को दूसरे देशों को भी निर्यात किया जा सकता है.