18 महीने के वेतन की बकाया राशि देने की बजाय उन्हें किनारे करने पर आमादा कंपनी
बॉलीवुड हंगामा न्यूज़ नेटवर्क के हवाले से-
मुंबई : मीडिया जगत में लोकप्रिय पीआर पेशेवर गौरव गुप्ता ने अपने लिंक्डइन और ट्विटर पोस्ट से पिछले 28 अगस्त को अपने पूर्व एम्प्लायर ‘कार्निवाल सिनेमाज’ की पोल खोल कर बॉलीवुड के सभी एम्प्लॉयर्स और वर्कर्स को चौंका दिया. कोविड -19 के संक्रमण काल के 18 महीनों में निजी क्षेत्र के वर्कर्स के लिए गौरव गुप्ता मानों उनकी पीड़ा की चित्कार बन कर सामने आए हैं.
गौरव ने अपने पूर्व एम्प्लायर ‘कार्निवाल सिनेमाज’ से हालांकि सवाल किया है. उनके सवालों का निचोड़ यही है कि वे अपने हजारों कर्मचारियों को पिछले 18 महीनों से उनके वेतन से वंचित रख कर क्या हासिल कर लेंगे? क्या इससे देश भर में 1000 सिनेमा स्क्रीन खोलने के अपने लक्ष्य को वे हासिल कर पाएंगे. फिलहाल देश भर में कार्निवाल 450 सिनेमा स्क्रीन बंद हैं. और सभी कर्मचारियों को झांसे में रख रही है कंपनी. अनेक कर्मचारी तो दुसरे जॉब ढूंढ लिए, कुछ अपने छोटे-मोठे व्यवसाय से जुड़ कर अपने परिवार के लिए किसी तरह रोटी जुटा रहे हैं और अनेक अभी भी मुफलिसी झेलते हुए आस लगाए बैठे हैं कि कार्निवाल उनकी सुधि लेगी.
लेकिन गौरव गुप्ता ने इतने दिनों तक कार्निवाल से यही आस लगाए बैठने और फिर कंपनी की बेरुखी से तंग आकर अब उसके खिलाफ जंग छेड़ने का मन बना चके हैं. सोशल मीडिया पर कार्निवल सिनेमाज जैसे ही उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की, मीडिया भी उनके साथ हो चला है.
उन्हें कार्निवल सिनेमाज के पूर्व सीईओ मोहन उमरोटकर का समर्थन मिला है, उन्होंने टिप्पणी की, “साझा करने के लिए धन्यवाद … आप जैसे कई कर्मचारी हैं जो पीड़ित हैं और अपने बकाया की प्रतीक्षा कर रहे हैं. दु:खद बात यह है कि चुनिंदा इन सभी तथाकथित नेताओं को इस महामारी के दौरान भी अपना 100% वेतन मिला है ….शर्म की बात है”.
He got support from Mohan Umrotkar, ex-CEO of Carnival Cinemas, who commented, “Thanks for sharing…like you there are many employees who are suffering and waiting for their dues. Sad part is selectively all these so called leaders have got their 100% salary even during this pandemic….shame shame”.
Everyone who is calling and is concerned about how my recent posts would endanger my chances of being employed in the entertainment industry ever again, I appreciate your concern. @CarnivalCin @DrShrikantBhasi @PVSunilCarnival @kunalssawhney @SarwankarV https://t.co/jZwuxqoeF3
— Gaurav Gupta (@yourgauravgupta) August 30, 2021
“We were paid Rs. 5000 a month”
श्रमिक यूनियन भी नहीं दे रहे साथ
उन्होंने यह भी खुलासा किया, “इनमें से हजारों कर्मचारी जूनियर स्तर पर हैं. वे उच्च शिक्षित और जागरूक नहीं हैं और दुख की बात है कि उन्हें किसी श्रमिक यूनियन का समर्थन भी नहीं मिल रहा है. यूनियनें भी असली काम नहीं कर रही हैं. यही वह समय है जब उन्हें अपने कर्मचारियों के साथ आकर खड़ा होना चाहिए था. लेकिन वे भी उदासीन हैं.
बॉलीवुड हंगामा न्यूज़ के माध्यम से कार्निवाल की पोल खोल
गौरव गुप्ता मई 2015 में कार्निवल सिनेमाज में सीनियर मैनेजर, पीआर एंड मीडिया एलायंस के रूप में शामिल हुए. 2017 में, उन्हें एजीएम, मीडिया एलायंस और कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस में पदोन्नत किया गया था. गौरव ने बॉलीवुड हंगामा न्यूज़ नेटवर्क के माध्यम से कार्निवाल सिनेमा मैनेजमेंट की पोल खोल दी है.
गौरव गुप्ता ने बताया कि वह अकेले पीड़ित नहीं हैं, “उन्होंने लगभग सभी को बेंच पर रख दिया है. किसी से भी बात करें और उनमें से ज्यादातर आपको बताएंगे कि वे बेंच पर हैं या उन्हें ठीक से भुगतान नहीं मिल रहा है. उन्होंने आगे कहा, “मैं जो पैसा मांग रहा हूं वह मेरी मेहनत की कमाई है. यह कंपनी द्वारा प्रदान की जा रही सहायता नहीं है.” इसके साथ ही अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए उसने अनिल अंबानी के बिग सिनेमा के देश भर के सारे सिनेमा स्क्रीन का भी कार्निवाल ने टेकओवर किए. बिग सिनेमा के हजारों कर्मचारी कार्निवाल सिनेमाज के एम्प्लोयी बन गए. अब सभी का बुरा हाल है.
बाजार में 40 करोड़ से ज्यादा देनदारी
एक सूत्र ने खुलासा किया कि लॉकडाउन से पहले भी कार्निवल की अच्छी प्रतिष्ठा नहीं थी, “वे बहुत लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जब उन्होंने वेतन से पीएफ काट लिया और इसे ईपीएफओ प्रणाली में जमा नहीं किया, वह भी महामारी से पहले. इसने इंडस्ट्री के अनेक निर्माताओं को भी भुगतान नहीं किया है. किसी भी बड़े प्रोडक्शन हाउस से पूछें, बाजार में 40 करोड़ से ज्यादा देनदारी है इनकी. ”
5,000 रुपए प्रति माह का भुगतान किया, वह भी बंद कर दिया
बॉलीवुड हंगामा न्यूज़ नेटवर्क को उन्होंने बताया, “25 मार्च, 2020 को लॉकडाउन शुरू होने के बाद से कंपनी ने हमें ठीक से भुगतान नहीं किया है. उन्होंने हमें मार्च 2020 का पूरा वेतन भी नहीं दिया है.” गौरव ने बताया कि एचआर से हम सभी एम्प्लोयी को कंपनी का एक मेल मिला, जिसमें कहा गया कि जब भी कंपनी के पास पैसा होगा, हमें मार्च और अप्रैल का पूरा वेतन दिया जाएगा. तब तक, कंपनी वेतन का 15% भुगतान करने के लिए सहमत हुई और बताया गया कि शेष 85% का भुगतान बाद में किया जाएगा. एक या दो महीने बीत जाने के बाद, हमें बताया गया कि वे वेतन का 15% भी नहीं दे पाएंगे. इसलिए कंपनी ने हमें 5000 रुपए प्रति माह देने का फैसला किया. कल्पना कीजिए कि यदि आप 15 लाख रुपए रुपए सालाना कमा रहे हैं. और फिर अचानक आपको सिर्फ 5,000 मासिक मिले तो मुंबई जैसे शहर में भी कोई इसे कैसे मैनेज कर सकता है? हमारे घर का किराया ही रु. 40,000 प्रति माह.”
गौरव ने कहा, “इतना ही नहीं, और फिर दो महीने बाद, यहां तक कि 5,000 रुपए प्रति माह का भुगतान बंद कर दिया गया. दिवाली के दौरान, हमें एक भुगतान दिया गया था, जो यह एक महीने के वेतन का सिर्फ 80% था.”
हालांकि, इससे चीजें बेहतर हुईं, “नवंबर से, उन्होंने हमें वेतन का 50% देना शुरू कर दिया. और जनवरी या फरवरी 2021 से हमें अपनी सैलरी का 70% मिलने लगा. इसलिए मुझे लगा कि स्थिति बेहतर हो रही है. मैं अप्रैल में ऑफिस जाना शुरू करने वाला था, लेकिन फिर दूसरे लॉकडाउन की घोषणा हो गई. इसलिए, सिनेमाघर एक बार फिर बंद कर दिए गए.”
गौरव गुप्ता के लिए एक बार फिर शुरू हो गईं मुश्किलें, “15 मई 2021 को मेरे तत्कालीन रिपोर्टिंग मैनेजर प्रशांत कुलकर्णी ने मुझे बताया कि कंपनी मुझे बेंच पर बैठा रही है, वह भी 1 मई से! लेकिन इन 15 दिनों में क्या? मैं मान गया और मैंने उनसे पूछा कि मेरे अप्रैल के वेतन और अन्य बकाया राशि का क्या होगा, जो कंपनी ने हमें लॉकडाउन शुरू होने के बाद से भुगतान नहीं किया है. प्रशांत कुलकर्णी ने मुझे बताया कि किसी को भुगतान नहीं किया जा रहा है, लेकिन मुझे आश्वासन दिया कि वह मई के अंत तक मेरा बकाया चुका देंगे. मई के अंत में, मुझे बताया गया था कि यह अगले दो सप्ताह के भीतर किया जाएगा.”
गौरव गुप्ता ने हालांकि पीछा करना जारी रखा और स्थिति पूछते रहे, “मैंने एचआर में सेकेंड इन कमांड को मेल किया. मैंने उनसे अपने बकाये का विवरण जारी करने को कहा. क्योंकि मुझे नहीं पता था कि कंपनी का मुझ पर कितना बकाया है. अपने प्रश्न का उत्तर पाने के लिए मेरी ओर से कई ईमेल किए गए. उन्होंने अंत में यह कहते हुए उत्तर दिया कि मैं अपने पूर्ण और अंतिम निपटान के साथ अपना बकाया प्राप्त करूंगा. मैंने जवाब दिया कि अगर वह पूर्ण और अंतिम का उल्लेख कर रहे हैं तो क्या इसका मतलब यह है कि कंपनी ने मुझे निकाल दिया है? मुझे पता तो होना चाहिए कि मैं कंपनी में हूं या नहीं हूं. उन्होंने माफी के साथ जवाब दिया और कहा कि मैं अभी भी कंपनी में, किनारे हूं. उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि उनके पास जनशक्ति नहीं है, इसलिए बाद में एक बयान जारी किया जाएगा. इस संबंध में कोई निश्चित समयसीमा नहीं दी गई थी.”
गौरव ने बॉलीवुड हंगामा न्यूज़ को आगे बताया, “एक दिन, मुझे कार्निवल मोशन पिक्चर्स के सीईओ का एक मेल मिला. उसने मुझे अपना पीआर पार्टनर डेटाबेस जमा करने के लिए कहा. मुझे एहसास हुआ कि परोक्ष रूप से वह मुझसे डेटाबेस को सौंपने के लिए कह रही थी. वैसे भी, मैंने उससे अपने बकाए के बारे में पूछा और अनुरोध किया कि कम से कम एचआर को मुझे मेरे बकाए का विवरण देने के लिए सूचित करें. उसने जवाब दिया कि मैं कंपनी की संपत्ति रखने की कोशिश कर रहा हूं. मैंने स्पष्ट कर दिया कि पीआर पार्टनर डेटाबेस मेरा है और कंपनी की संपत्ति नहीं है. वे मेरे संपर्क हैं, जो मैंने वर्षों में बनाए हैं. मुझे जवाब नहीं मिला. चूंकि उन्हें यह स्पष्ट हो गया था कि मैं डेटाबेस को तब तक साझा नहीं करूंगा, जब तक मुझे अपने सवालों के जवाब नहीं मिल जाते. मुझे उसी दिन टर्मिनेशन लेटर की उम्मीद थी.”
और फिर अंत में यह हुआ, “3 दिन बाद, 8 जुलाई को, मुझे यह कहते हुए टर्मिनेशन लेटर मिला कि मेरी सेवाओं की अब आवश्यकता नहीं है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कोविड -19 के कारण, कंपनी पुनर्गठन कर रही है. और मुझे निकाला जा रहा था. लेकिन जब मैंने अनुरोध किया कि कम से कम, मुझे मेरा बकाया चुका दो. तो बताया गया कि वे मुझे एक महीने का वेतन ही देने के लिए उत्तरदायी हैं. उस दिन से मैं लगातार उन्हें फॉलो कर रहा हूं. मैंने उन्हें 8-10 मेल और कई मैसेज लिखे होंगे. कंपनी के अध्यक्ष मेरे समाचार कवरेज संदेशों का तुरंत जवाब देते थे, लेकिन वह अब और जवाब देना नहीं पसंद करते.”
यह पूछे जाने पर कि कार्निवाल को गौरव गुप्ता को कितना भुगतान करना है, उन्होंने जवाब दिया, “मुझे यकीन नहीं हो रहा है, लेकिन मुझे लगता है कि कार्निवल पर मुझ पर एक मोटी रकम बकाया है. मुझे लगता है कि वे कुछ कटौती करेंगे, मुझे नहीं पता. केवल वे ही उत्तर दे सकते हैं. लेकिन वे उत्तर नहीं दे रहे हैं.
4500 से अधिक कर्मचारी परेशान
एक पूर्व कर्मचारी, जो अपने वेतन के लिए भी लड़ रहा है, ने खुलासा किया, “मार्च 2019 में संगठन छोड़ने वाले कुछ लोग भी इसी मुद्दे का सामना कर रहे हैं. उनके बकाया का भुगतान नहीं किया गया है और उन्हें प्रबंधन से संतोषजनक जवाब नहीं मिला है.” उन्होंने कहा, “करीब 2500 लोग पेरोल पर थे. इतनी ही संख्या में लोग जो उनके लिए काम कर रहे थे, एजेंसियों के माध्यम से आए. कार्निवल के पीछे ये एजेंसियां भी हैं, क्योंकि उनका बकाया भी नहीं चुकाया गया है. ऐसे में करीब 4500 से अधिक संख्या में लोग परेशान हैं.”
पूर्व कर्मचारी ने आगे कहा, ‘जो चले गए, उनका एफएनएफ नहीं किया गया है और उनकी ओर से अब तक कोई जवाब नहीं आया है. यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है. हमने पाया है कि कुछ लोगों को उनका वेतन नियमित रूप से मिल रहा है. मेरी राय में, जो लोग चले गए हैं, उनके वेतन और एफएनएफ का भुगतान किसी और को उनका वेतन मिलने से पहले किया जाना चाहिए. इसलिए कार्निवल का यह रवैया बहुत ही अनैतिक और गैर-पेशेवर है.”
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट : 700 करोड़ के कर्ज में डूबी है कंपनी
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कंपनी का मौजूदा कर्ज 700 करोड़ रुपए से अधिक है. उसने एक स्रोत के हवाले से कहा कि इसने बहुत तेजी से बढ़ने की कोशिश की, हालांकि इसके पास कभी भी पीवीआर, आईनॉक्स या सिनेपोलिस जैसी वित्तीय ताकत नहीं थी. हालांकि, हैरानी की बात यह है कि बुलबुला फूटने में इतना समय लगा.
एक सूत्र ने कहा, “कार्निवल ने ‘फार्म से’ और इसके भ्रामक उपभोक्ताओं के नाम से एक नया उद्यम शुरू किया है. उनका दावा है कि वे सीधे खेतों से सब्जियां और अन्य उत्पाद खरीद रहे हैं. लेकिन यह सही नहीं है. वे वास्तव में इसे नवी मुंबई के एपीएमसी बाजार से खरीद रहे हैं. वे एक टेम्पो में उपज लोड करते हैं. इसे साफ करके आईमैक्स वडाला में पैक किया जाता है. वे सार्वजनिक रूप से लोगों को धोखा दे रहे हैं.”
उन्होंने यह भी कहा, “वे अन्य सभी वर्टिकल को वेतन दे रहे हैं. वे रियल्टी, क्लाउड किचन, फूड बिजनेस (कार्निवल फूड्स) आदि में हैं. उनका केरल में पेरियार डेयरी फार्म है. ये सभी व्यवसाय सुचारू रूप से चल रहे हैं. यह केवल सिनेमा व्यवसायी हैं, जिन्हें भुगतान करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है.”
कार्निवाल की समस्याओं पर इकोनॉमिक टाइम्स के 30 अगस्त के अंक में एक रिपोर्ट भी फ़ार्मसे पर प्रकाश डालती है. एक सिनेमा मैनेजर के हवाले से कहा गया है कि उन्हें इस वर्टिकल का हिस्सा बनाया गया है और उन्हें दूध और सब्जियां बेचने को कहा गया है. यह प्रबंधक आगे दावा करता है कि मई 2020 के बाद से, उसे और अन्य लोगों को वेतन का एक अंश मिला है और लोग इस डर से नौकरी नहीं छोड़ना चाहते कि उन्हें उनका FnF नहीं मिलेगा.