बाघिन

बाघिन ट्रेन की टक्कर से घायल, अंदरूनी चोटों के साथ पूंछ भी कटी

नागपुर
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नागपुर : शुक्रवार की सुबह करीब 5.30 बजे ट्रेन की टक्कर में एक वयस्क बाघिन गंभीर रूप से घायल हो गई. यह दुर्घटना दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) के तुमसर-तिरोड़ी खंड पर डोंगरी रेलवे स्टेशन के पास हुई. 

वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि अज्ञात बाघिन, संभवतः भंडारा जिले के नाकाडोंगरी वन रेंज की है. दुर्घटना के बाद बचाव और इलाज 7 घंटे के बाद ही संभव हो सका. शाम को नागपुर के गोरेवाड़ा स्थित बचाव केंद्र में स्थानांतरित किया जा सका. 

बाघिन के सिर और पिछले पैरों में गंभीर चोटें आईं और उसकी एक तिहाई लंबाई में पूंछ कट गई. सूत्रों ने बताया कि दुर्घटना के बाद बाघिन ट्रैक से हिलने की कोशिश की, लेकिन अंदरूनी और बाहरी चोटों के कारण वह पटरियों के बीच ही गिर गई. उसकी पूंछ दुर्घटना स्थल से 25 मीटर दूर रेलवे ट्रैक पर मिली. 

लोग सेल्फी निकालने की होड़ में जुट गए 

प्राप्त जानकारी के अनुसार बाघिन के बचाव कार्य में देरी के कारण दुर्घटना स्थल पर लोगों की भीड़ जमा हो गई. भीड़ में शामिल कुछ लोग घायल बाघिन के साथ सेल्फी निकालने की होड़ करने लगे. इससे घायल बाघिन अत्यधिक बेचैनी और तनाव में आ गई थी. 

भंडारा जिले के लाखनी के पशु चिकित्सक डॉ. विट्ठल हटवार ने बताया कि जानवर निर्जलित (Dehydrated) हो गई थी. लोगों की भारी भीड़ के कारण वह अत्यधिक तनाव में थी. उसे कई अंदरूनी चोटें भी आई थीं. उन्होंने बताया कि चोटों की गंभीरता का पता लगाने के लिए रेडियोग्राफी की आवश्यकता होगी.

50 किमी की रफ़्तार से हुई टक्कर 

अपुष्ट रिपोर्टों के अनुसार, जब लोको पायलट ने बाघिन को ट्रैक पर देखा, तब ट्रेन 80 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही थी. आपातकालीन ब्रेक लगाने के बावजूद, ट्रेन की गति 50 किमी प्रति घंटे पर आई, और फिर भी वह बाघिन से टकरा गई. लोको पायलट ने अगले स्टेशन पर कर्मचारियों को सूचित किया. सूचना मिलते ही पुलिस सबसे पहले मौके पर पहुंची.

भंडारा के उप वन संरक्षक राहुल गवई ने कहा, “घटना सुबह करीब 5.20 बजे हुई. हालांकि हमारा स्थानीय स्टाफ घटनास्थल पर जल्दी पहुंच गया, लेकिन त्वरित बचाव दल (आरआरटी), वाहन, उपकरण और पशु चिकित्सकों की कमी के कारण बचाव अभियान तत्काल शुरू नहीं किया जा सका.”

घायल बाघिन के ऑपरेशन में देरी हुई, क्योंकि विभाग को बेहोशी के बाद दी जाने वाली रिवर्सल दवाएं, IV फ्लूइड आदि बाज़ार से खरीदनी पड़ी. बाघिन को दोपहर 1.30 बजे वन विभाग के चिचोली डिपो में ले जाया गया, जहां से शाम को उसे गोरेवाड़ा ले जाया गया.

सूत्रों ने बताया कि बचाव अभियान करीब 7 घंटे तक चला, क्योंकि वन विभाग के पास उचित शांत करने वाली दवाएं नहीं थीं. डॉ. हटवार ने बताया, “हमें बाहर से रिवर्सल दवाएं खरीदनी पड़ीं, इसलिए देरी हुई.”

उन्होंने बताया कि हालांकि भंडारा में पहले से ही कोका वन्यजीव अभयारण्य है. प्रभाग में नवेगांव-नागजीरा और पेंच बाघ अभयारण्यों के बीचवन वन्य जीव संरक्षण के रूप में कार्य करते हैं.

भंडारा के मानद वन्यजीव वार्डन शाहिद खान ने कहा, “तेंदुओं और बाघों सहित समृद्ध वन्यजीवों की मौजूदगी भंडारा में एक ट्रांजिट ट्रीटमेंट एन्टर (टीटीसी) स्थापित करना अब अनिवार्य हो गया है.”