राकांपा (शरद) नेता शरद पवार को परिवार, पार्टी तोड़ने का महारथी बताया
मुंबई : महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के एनडीए में वापसी की अटकलों के बीच महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया है कि उद्धव के लिए भाजपा के दरवाजे सदा के लिए बंद हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में पार्टी भविष्य में उनके साथ नहीं जाएगी. शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने की जानकारी मुझे पहले से थी. मैं मुख्यमंत्री या अध्यक्ष किसी भी रेस में नहीं हूं. फडणवीस ने न्यू एजेंसी ANI से बातचीत में यह बातें कहीं.
यह पूछे जाने पर कि क्या शिवसेना (UBT) नेता उद्धव ठाकरे के लिए महायुति का दरवाजा बंद हो चुका है? जवाब में उन्होंने कहा, “निश्चित ही बंद हो गया है और इसकी जरूरत भी नहीं पड़ने वाली है. 2019 के चुनाव ने मुझे ये सिखाया है कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है. अब आवश्यकता नहीं पड़ेगी. लोग इस बार महायुति को निर्णायक बहुमत देंगे.”
शरद पवार परिवार और पार्टी तोड़ने के महारथी हैं
फडणवीस ने ANI से बातचीत में कहा कि राकांपा (SP) चीफ शरद पवार परिवार और पार्टी तोड़ने के मामले में महारथी हैं. राकांपा और शिवसेना अपनी अति महत्वाकांक्षाओं के कारण टूटीं. उद्धव मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, इसलिए उन्होंने हमसे नाता तोड़ लिया. मुख्यमंत्री बनने के बाद वे आदित्य ठाकरे को आगे लाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने एकनाथ शिंदे को सफोकेट करने की कोशिश की.
मुख्यमंत्री पद के दौड़ में नहीं
इस सवाल पर कि महायुति के सत्ता में आने पर क्या आप मुख्यमंत्री होंगे? जवाब में उन्होंने कहा, “न तो मैं मुख्यमंत्री की दौड़ में हूं, न ही मैं अध्यक्ष की दौड़ में हूं. मैं ऐसी किसी दौड़ में नहीं हूं. भाजपा मेरा घर है, जीना यहां, मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां. देवेंद्र फडणवीस ऐसा नट है जो कहीं भी फिट होता है, जहां भी पार्टी इस नट को फिट कर दे यह वहां फिट हो जाएगा.”
फडणवीस ने कहा, “हमें पूरा भरोसा है कि हम अपनी सरकार बनाएंगे. जैसे ही नतीजे आएंगे, तीनों पार्टियां एक साथ बैठेंगी और तय करेंगी कि मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए. मैं इस प्रक्रिया में नहीं हूं. मैं अपनी पार्टी में एक क्षेत्रीय नेता हूं, यह सब राष्ट्रीय अध्यक्ष तय करेंगे.”
‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे में कुछ गलत नहीं
उन्होंने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे का महायुति और भाजपा में हो रहे विरोध पर कहा- मुझे योगी जी के नारे में कुछ भी गलत नहीं लगता. इस देश का इतिहास देख लीजिए, जब-जब इस देश को जातियों, प्रांतों और समुदायों में बांटा गया, यह देश गुलाम हुआ है.