*कल्याण कुमार सिन्हा-
मत-सम्मत : महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने महायुति की अगली सरकार गठन का रास्ता साफ़ कर दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री पद की रेस से खुद को अलग कर भाजपा के लिए रास्ता साफ कर दिया है. अब भाजपा के भीतर सीएम चेहरे की तलाश चल रही है. हालांकि, देवेंद्र फडणवीस इस रेस में सबसे आगे तो हैं. जल्द ही नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू होने वाली भी है. लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर अचानक सस्पेंस खड़ा हो गया है.
इस बीच सबके दिमाग में एक ही सवाल है कि नई सरकार में एकनाथ शिंदे की भूमिका क्या होगी? क्या वह देवेंद्र फडणवीस की तरह नहीं बने तो क्या बनेंगे? शिंदे क्या डिप्टी सीएम की कुर्सी स्वीकार कर लेंगे? या फिर वह सरकार से बाहर रहना पसंद करेंगे. ऐसे में दोनों के पास बड़े अवसर के द्वार खुले हुए हैं.
बाला साहब जैसी प्रतिष्ठा पाने का अवसर है शिंदे के पास
प्रेक्षकों के अनुसार, शिंदे के लिए राज्य में डिप्टी सीएम बनाने के अलावा केंद्र में मंत्री बनाने का विकल्प है. लेकिन संभावना यह भी है कि वे राज्य की राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभाने की अगर सोच रहे हैं तो उनके लिए स्वयं डिप्टी सीएम बनाने की जगह अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता को यह पद सौंप दें और स्वयं महायुति के प्रमुख पद पर बने रह कर पार्टी और सरकार के लिए बाला साहेब ठाकरे की भूमिका में आ जाएं. केंद्र में अपने सांसद बेटे श्रीकांत को मंत्री पद पर बैठा कर राज्य की राजनीति में अपनी पकड़ और मजबूत कर लें.
सरकार में पद का मोह छोड़ने से और महायुति का प्रमुख बने रहने से वे केंद्र की राजनीति में भी भाजपा के लिए और अपनी शिवसेना दोनों के लिए एक बड़ी ताकत बन कर उभर सकते हैं. महायुति में रहकर अपने पिछले कार्यकाल में सभी सहयोगी दलों के साथ तालमेल का अनुभव उन्होंने प्राप्त कर लिया है. महायुति प्रमुख की भूमिका में अपने उसी अनुभव के आधार पर वे राज्य की बाला साहब ठाकरे और शरद पवार जैसी प्रतिष्ठा प्राप्त कर पाने का उनके लिए यह बड़ा अवसर है.
सरकार में बड़ी भूमिका के अधिकारी हैं अजित दादा भी
महाराष्ट्र में फडणवीस और शिंदे की संभावित भूमिका को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच एक और बड़े किरदार की चर्चा है. वह हैं अजित दादा पवार. अजित पवार अनुभव और सीनियरिटी के मामले में शिंदे और फडणवीस दोनों से आगे हैं. वह पांच बार के डिप्टी सीएम हैं. महायुती में उनकी पार्टी ने भी शानदार प्रदर्शन किया है और उनके पास 42 विधायक हैं. उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य कहलाने वाले अपने चाचा शरद पवार की राजनीति को चुनौती दे ये सफलता हासिल की है. ऐसे में उनको भी सरकार में बड़ी भूमिका मिलने से कोई इनकार नहीं कर सकता.
फडणवीस की भूमिका पर सस्पेंस
एकनाथ शिंदे के सरेंडर कर देने के बाद भी अभी महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री कौन होगा? सस्पेंस अब भी बरकरार है. फिर भी देवेंद्र फडणवीस की राह आसान नहीं हुई है. देवेंद्र फडणवीस के नाम पर भाजपा फूंक-फूंककर कदम रख रही है. भाजपा हर समीकरण को साधते हुए आगे बढ़ रही है.
एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री के रेस हटाने के बाद लगा जैसे देवेंद्र फडणवीस के लिए सीएम पद रास्ता साफ़ हो गया है. लेकिन अभी जो घटनाक्रम सामने आए हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि देवेंद्र फडणवीस के नाम पर फिर पेंच फंस गया है. ऐसा अमित शाह और विनोद तावड़े के बीच बुधवार की रात को हुई लंबी बातचीत से यह संकेत सामने आया है.
विनोद तावड़े ने अमित शाह को महाराष्ट्र का जो फीडबैक दिया है, उससे ही फडणवीस के नाम पर पेंच फंसता दिख रहा है. हो सकता है राज्य का अगला मुख्यमंत्री भाजपा का ही कोई और हो जाए. फडणवीस के लिए और बड़ी कौन सी भूमिका हो सकती है, यह अभी स्पष्ट नहीं है. फडणवीस भाजपा के रत्न साबित हुए हैं. राज्य के शासन में उनकी अतुलनीय पकड़ के साथ पार्टी के लिए भी उनकी क्षमता आउट योग्यता का लोहा सभी मानते हैं. संघ भी उनकी योग्यता और क्षमता का कायल है. ऐसे में यदि मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो पार्टी उन्हें कौन सी बड़ी भूमिका देने वाली है, इस पर भी सस्पेंस बना हुआ है.
–कल्याण कुमार सिन्हा.