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ओबीसी उपवर्ग संबंधी रोहिणी आयोग की सिफारिशें लागू करें 

महाराष्ट्र
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वंचित वर्ग को समाज में बराबरी पर लाना जरूरी – हेमंत पाटिल 

मुंबई : देश के ओबीसी के पिछड़े वर्गों, विशेषकर शोषित, पीड़ित और वंचितों को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा न्यायमूर्ति रोहिणी आयोग की स्थापना की गई थी. हालांकि, 485 दिनों के बाद भी आयोग की सिफारिशों के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और ओबीसी नेता हेमंत पाटिल ने इसके लिए बुधवार, 27 नवंबर को खेद व्यक्त किया.

राष्ट्रपति से मिलेंगे  

पाटिल ने कहा कि वह महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर आयोग की सिफारिशों को तुरंत लागू करने की मांग करेंगे. पाटिल ने कहा कि वह राष्ट्रपति के कार्यालय में प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात के लिए समय मांगेंगे और सिफारिशों को लागू करने में देरी की ओर उनका ध्यान आकर्षित करेंगे. 

वंचित वर्ग को न्याय मिले 

उन्होंने कहा कि जस्टिस रोहिणी आयोग की सिफारिशें ओबीसी के वंचित वर्ग को उचित न्याय दिला सकती हैं. यदि आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाता है तो ओबीसी वर्ग में हाशिये पर पड़े वर्गों को विकास की पटरी पर लाया जा सकता है. 

संसद सत्र के दौरान चर्चा हो 

पाटिल ने कहा कि ओबीसी समेत पूरे देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भरोसा है. पाटिल ने राय व्यक्त की कि हाल ही में विभिन्न राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के जनादेश के आधार पर इसे समझा जा सकता है. पाटिल ने मांग की कि संसद का सत्र चल रहा है, इसलिए सरकार को आयोग की सिफारिशों के बारे में सांसदों को सूचित करना चाहिए और सदन में उन पर चर्चा करनी चाहिए. 

देश में ओबीसी के ओबीसी उप-वर्गीकरण के लिए 2 अक्टूबर, 2017 को दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जी रोहिणी की अध्यक्षता में ‘रोहिणी आयोग’ का गठन किया गया था. आयोग ने अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी है. पाटिल ने मांग की कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. 

अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने ‘रोहिणी आयोग’ को ओबीसी को आरक्षण के लाभों के असमान वितरण की सीमा की जांच करने और ओबीसी के उप-वर्गीकरण के लिए वैज्ञानिक रूप से तंत्र, मानदंड और पैरामीटर तैयार करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी सौंपी थी. 

तदनुसार, आयोग ने प्रत्येक ब्लॉक के लिए आरक्षण के प्रतिशत को सीमित करके ओबीसी वर्ग की कमजोर जातियों को सशक्त बनाने की सिफारिश करने का कार्य किया है. पाटिल ने दावा किया कि उप-वर्गीकरण के पीछे मूल उद्देश्य समाज को बराबरी पर लाना था. अगर यह उद्देश्य हासिल हो गया तो वंचितों को न्याय मिलेगा.