सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एक ही राज्य में मिलेगा एससी/एसटी आरक्षण का लाभ

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दूसरे राज्य में यह लाभ तभी मिलेगा, जब वहां भी उसकी जाति सूचीबद्ध हो, दिल्ली में केंद्र की सूची से

नई दिल्ली : नौकरी में अनुसूचित जाति, जनजाति (एससी/एसटी) आरक्षण के मामले में आज गुरुवार, 30 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, एससी/एसटी आरक्षण के तहत सेवा या नौकरी में लाभ पाने वाला व्यक्ति किसी दूसरे राज्य में उसका फायदा नहीं ले सकता है. वह वहां दूसरे राज्य में तभी आरक्षण का लाभ ले सकेगा, जब उसकी जाति उस राज्य में भी सूचीबद्ध हो.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नौकरी में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए अखिल भारत स्तर पर आरक्षण का नियम विचार करने योग्य होगा. अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण का लाभ एक राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश की सीमा तक ही सीमित रहेगा.

एक राज्य के अनुसूचित जाति या अनुसूचति जनजाति समूह के सदस्य दूसरे राज्य के सरकारी नौकरी में आरक्षण के लाभ का तब तक दावा नहीं कर सकते जब तक उनकी जाति वहां सूचीबद्ध नहीं हो. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के सामने सवाल था कि एक राज्य में जो व्यक्ति अनुसूचित जाति में है तो क्या वह दूसरे राज्य में अनुसूचित जाति में मिलने वाले आरक्षण का लाभ ले सकता है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि नहीं, ऐसा नहीं हो सकता.

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी आदेश दिया है कि कोई भी राज्य सरकार अपनी मर्जी से अनुसूचित जाति, जनजाति की लिस्ट में कोई बदलाव नहीं कर सकती है. ये अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति का ही है. या फिर राज्य सरकारें संसद की सहमति से ही लिस्ट में कोई बदलाव कर सकती है.

हालांकि, राजधानी दिल्ली में सरकारी नौकरी करने वालों को अनुसूचित जाति से संबंधित आरक्षण केंद्रीय सूची के हिसाब से मिलेगा.

ज्ञातव्य है कि एक अन्य मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. जिसमें ये तय होना है कि क्या सरकारी नौकरी में मिलने वाले प्रमोशन में भी एससी/एसटी वालों को आरक्षण मिलना चाहिए या नहीं.

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