“गैंग” के माध्यम से पार्टी चला रहे राहुल गांधी, पार्टी के समर्थक किसानों की प्रतिक्रया

विदर्भ
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कांग्रेस अध्यक्ष के नांदेड़ दौरे ने राहुल व पार्टी के लिए खड़े किए गहरे सवाल, किसान संगठन की उपेक्षा से रोष

चंद्रपुर (विशेष प्रतिनिधि) : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी का जिले के नांदेड़ आगमन कांग्रेस और स्वयं राहुल गांधी के लिए एक बड़ा सवाल खड़े कर गया है. यह सवाल खुद उन्हीं की पार्टी के उन समर्पित किसान कार्यकर्ताओं ने खड़े किए हैं, जो पार्टी संगठन के लिए काम करते हैं और जिन्हें पार्टी केवल चुनावों के वक्त याद करती है.

किसान संगठन की ऐसी उपेक्षा उन्हें हतोत्साहित कर गई
सही मायने में यह उनका कोई सवाल नहीं कहा जा सकता, वास्तव में यह उनकी पीड़ा है, जो कांग्रेस अध्यक्ष के द्वारा भी जाने-अनजाने में उन्हें दी गई है. स्थानीय पार्टी विधायकों, वरिष्ठ नेताओं प्रदेश के नेताओं आदि से तो उन्हें ऐसी उपेक्षा का सामना करना ही पड़ता है, पार्टी अध्यक्ष की ओर से भी उन्हें ऐसी उपेक्षा की उम्मीद नहीं थी. पार्टी के किसान संगठन की ऐसी उपेक्षा उन्हें हतोत्साह कर गई थी.

फूट पड़ा आक्रोश किसान कार्यकर्ता का
पार्टी के किसान संगठन या किसान सेल से जुड़े ये कार्यकर्ता अपने अ.भा.कां. अध्यक्ष के आगमन पर भी उदासीन नजर आए. ‘विदर्भ आपला’ प्रतिनिधि ने जब राहुल गांधी के कार्यक्रम के प्रति उनकी ऐसी उदासीनता का कारण पूछा तो तो मानो उनके दिल की व्यथा शब्दों के माध्यम से उबलने लगी.

“गैंग” के माध्यम से ही चलाई जा रही पार्टी
अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर उन्होंने कहा, ‘राहुल जी एक ओर पार्टी संगठन को मजबूत करने की बातें करते हैं, लेकिन नहीं लगता कि उन्हें पार्टी संगठन किस चिड़ियां का नाम है, पता है. वे तो पहले की तरह ही एमएलए, सांसदों, पूर्व एमएलए और पूर्व सांसदों और निष्क्रीय रह रहे नामचीन नेताओं की “गैंग” के माध्यम से ही पार्टी चलाते नजर आ रहे हैं.’

कांग्रेस किसान सेल के सक्रीय कार्यकर्ता रहे उन सज्जन की बातों में दम नजर आई. इस प्रतिनिधि ने उन्हें फिर कुरेदा. पूछा- ऐसा आप कैसे कह सकते हैं कि “गैंग” के माध्यम से राहुल पार्टी चला रहे हैं.

यह सवाल उन्हें थोड़ी चुभ गई. उन्होंने तुरंत सवाल दागा- ‘बताइए, राहुलजी यहां क्यों आए?’ मैंने जवाब दिया- ‘एच.एम.टी. धान के जनक स्व. दादाजी खोब्रागड़े परिवार से मिलने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए और साथ ही स्थानीय किसानों से संवाद करने.’

उन्होंने फिर पूछा- ‘यह बताइए, उनके साथ आए नेताओं की फौज में क्या कोई स्थानीय, जिला स्तर या प्रदेश स्तर के किसान सेल या संगठन का कोई नेता भी था? यदि नहीं था तो हम से पूछिए कि क्यों नहीं था.’

पार्टी की प्रत्येक चुनावों में हार से आंखे नहीं खुलीं
इस प्रतिनिधि ने कहा- आप बताइए तो! उन्होंने कहाकि स्थानीय विधायक और जिले के नेताओं सहित हमारे प्रदेश के नेताओं को भी यही भ्रम है कि किसानों को भी हमारा “गैंग” ही साध लेने में सक्षम है. लेकिन उन्हें हाल के दिनों में भी सभी स्तर के स्थानीय स्वशासी निकायों में पार्टी की हार, नगरपरिषद, पंचायत समितियों के चुनावों में पार्टी की हार, ग्राम पंचायत चुनावों में पार्टी की हार, कृषि उत्पन्न बाजार समितियों से पार्टी के उखड़ते तम्बू, खरीद-बिक्री सहकारी संस्थाओं से पार्टी के उखड़ते तम्बू, विधान परिषद चुनावों में पार्टी का बुरा हाल, विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मिली हार से भी अभी तक शबक नहीं मिली है, तो इससे बड़ा उदाहरण और कया हो सकता है.

किसानों की हाल की हड़ताल की सफलता भी उन्हें नजर नहीं आई
उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा- ‘हाल ही में, पिछले सप्ताह ही किसानों की राज्यव्यापी हड़ताल हुई, हड़ताल सफल रही, इसमें कांग्रेस के किसान संगठन के लोगों का योगदान सरकार को नजर आया, अन्य दलों और अन्य संगठनों के साथ आप मीडिया वालों को भी नजर आया. लेकिन यदि किसी को नजर नहीं आया तो हमारे विधायकों, सांसदों, प्रदेश के नेताओं के साथ ही राहुल जी को भी नजर नहीं आया. यदि आया होता तो आज किसान के नाम पर मजमा जुटाने के लिए हमारे विधायकों और नेताओं को अपने “गैंग” लाने की जरूरत नहीं पड़ती. राहुलजी के आगे-पीछे यहां किसान ही किसान नजर आते.’

अपने थैलीशाहों की ‘दरियादिली’ से गदगद हैं कांग्रेस अध्यक्ष
किसान कार्यकर्ता ने कहा- ‘आपने भी देखा वडेट्टीवार ने अपने खीसे से ढाई लाख रुपए पार्टी की ओर से खोब्रागड़े परिवार को दिए, पुगलिया जी ने 1 लाख रुपए दिए, राहुलजी यह देख गदगद हो गए होंगे. ऐसे ही थैलीशाह उनकी नजरों में पार्टी संगठन की रीढ़ हैं, तो फिर उन्हें हमारी जरूरत क्यों पड़ेगी? हम तो थैलियां नहीं दे सकते. हम तो अधिक किसानों से समर्थन ही दिला सकते हैं न! लेकिन इस समर्थन की जरूरत तो उन्हें आगामी लोकसभा चुनावों दौरान पड़ने वाली है तो उनके पास थैलियां हैं ही, खरीद लेंगे किसानों के भी वोट!’

सभा में आस-पास के जिलों से पहुंचे नेताओं के लोग ही अधिक थे
उनके साथ उपास्थित अन्य किसान कार्यकर्ता भी हामी भरते जा रहे थे. उनके चहरे का आक्रोश बता रहा था कि राहुल गांधी के आगमन से उनके दिलों में जगी आशा बुझ कर धुंआने लगी है. राहुल आए खोब्रागड़े जी के सम्मान में सजाए गए चौपाल के विशाल मंच से बड़ी-बड़ी बातें कीं, बड़े आश्वासन दिए, मगर किसे? वहां श्रोता या दर्शकों में किसान कितने थे, यह तो उन्हें भी पता चला या नहीं, यह वही जानते होंगे! लेकिन अन्य ग्रामवासियों ने भी यही बताया कि उन्हें सुनने वालों में नागपुर, वर्धा, यवतमाल, गढ़चिरोली और चंद्रपुर से विभिन्न चारपहिया और दुपहिया वाहनों से पहुंचे नेता और उनके लोग ही अधिक थे.

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