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कोल इंडिया ने मासूम बच्ची के इलाज के लिए स्वीकृत किए 16 करोड़

उद्योग
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कोलकाता : देश की सबसे बड़ी कोयला कंपनी कोल इंडिया ने दिल को छू लेने वाली एक पहल करते हुए अपने एक कोयला खनिक की 2 वर्ष की मासूम बच्ची के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है.
 
कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के दीपका कोयला क्षेत्र में कार्यरत ओवरमैन सतीश कुमार रवि की बेटी सृष्टि रानी ‘स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी’ (एसएमए) नामक एक बेहद ही दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त है. अमूमन छोटे बच्चों में होने वाली इस बीमारी में स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन स्टेम में नर्व सेल की कमी से मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं कर पातीं और धीरे-धीरे यह बीमारी प्राणघातक होती चली जाती है. इसका इलाज बेहद ही महंगा है और इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन ‘जोलजेंस्मा’ की कीमत 16 करोड़ रुपए है. अब कोल इंडिया ने अपने परिवार की बिटिया के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है.

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एसईसीएल के दीपका कोयला क्षेत्र में कार्यरत ओवरमैन सतीश कुमार रवि बेटी सृष्टि रानी और पत्नी के साथ.

कोल इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया “सतीश जैसे कर्मी को अपनी बच्ची के इलाज के लिए इतनी ऊंची कीमत पर इंजेक्शन खरीद पाना संभव नहीं था. कोल इंडिया ने न सिर्फ अपने परिवार की बेटी की जान बचाने के लिए यह बड़ी पहल की है, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उपक्रमों और दूसरे संस्थानों के लिए भी एक मिसाल पेश की है, जो इस धारणा पर कार्य करते हैं कि कर्मी और उनका परिवार उनकी सबसे बड़ी पूंजी है और उनकी जिंदगी बचाना संस्थान का प्राथमिक कार्य है.”

गौरतलब है कि कोल इंडिया की यह पहल ऐसे समय में आई है, जब देश भर में कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी कंपनियों में कार्यरत कर्मी बिजली बनाने के लिए कोयले की बढ़ती मांग के मद्देनजर जरूरी सप्लाई सुनिश्चित किए जाने हेतु दिन-रात अनवरत कार्य में जुटे हैं.

सृष्टि रानी के इलाज के लिए विदेश से आयात कर 16 करोड़ रुपए का ‘जोलजेंस्मा’ इंजेक्शन दिया जाना है. एम्स, दिल्ली में इलाज के बाद सृष्टि फिलहाल अपने पिता के कार्यस्थल दीपका के आवास में रह रही है, जहां उन्हें पोर्टेबल वेंटिलेटर पर रखा गया है.

बता दें कि 22 नवंबर, 2021 को अपने जन्म के 6 महीने के भीतर ही सृष्टि काफी बीमार रहने लगी. इस बीच कोविड महामारी की वजह से उसके माता-पिता उसे बेहतर इलाज के लिए बाहर नहीं ले जा सके और स्थानीय स्तर पर उसका इलाज चलता रहा. हालत में सुधार न होता देख सतीश दिसंबर, 2020 में सृष्टि के इलाज के लिए सीएमसी वेल्लोर गए, जहां जांच के बाद पता चला कि उसे ‘स्पाइनल मस्क्युलर एट्रॉफी’ (एसएमए) है और ‘जोलजेंस्मा’ इंजेक्शन की जरूरत होगी, जो भारत के बाहर उपलब्ध है. 30 दिसंबर, 2021 को जब सतीश, सृष्टि को वेल्लोर से लेकर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला स्थित दीपका के अपने आवास लौट रहे थे तो रास्ते में ही सृष्टि की तबीयत ज्यादा खराब हो गई और उसे एसईसीएल से इंपैनल्ड अपोलो अस्पताल बिलासपुर में भर्ती करना पड़ा. वहां काफी समय इलाज चलने के बाद सतीश ने एम्स दिल्ली से सृष्टि का इलाज कराया. फिलहाल बच्ची का इलाज घर पर ही चल रहा है, जहां वह पोर्टेबल वेंटिलेटर पर है.

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