सौर ऊर्जा

सौर ऊर्जा क्षेत्र में ‘कैडमियम टेल्यूराइड सोलर सेल’ एक क्रांतिकारी खोज 

गैजेट्स नागपुर महाराष्ट्र
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नागपुर : महाराष्ट्र शासन की संस्था ‘महात्मा ज्योतिबा फुले अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (महाज्योति)‘ की शोधकर्ता डॉ. दीपमाला साली ने कैडमियम टेल्यूराइड सोलर सेल के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा स्रोत पर क्रांतिकारी शोध प्रस्तुत किया है. उनका यह शोध सौर ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी योगदान समझा जा रहा है. 

कैडमियम टेल्यूराइड सोलर सेल पर डाॅ. दीपमाला साली ने जो शोध किया है, वह मामूली लागत पर पर्यावरण-अनुकूल सौर ऊर्जा उत्पन्न करने का एक सफल और क्रांतिकारी समाधान होने वाला है. उनका दावा है कि इन अत्यंत किफायती सोलर सेल को न केवल लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है, बल्कि भविष्य में इसका औद्योगिक उपयोग भी किया जा सकेगा.

भारत ने हाल ही में स्वच्छ ऊर्जा, वैकल्पिक ईंधन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने की नीति अपनाई है. इस प्रकार सौर ऊर्जा का उपयोग एक महत्वपूर्ण पहलू है. यदि आने वाले भविष्य में संभावित बिजली और ईंधन संकट को दूर करना है तो सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग समय की मांग है. सौर ऊर्जा भविष्य का ईंधन है और पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए इसके लाभ बहुत अधिक हैं. डॉ. दीपमाला साली का यह शोध सरकार की नीति के आलोक में अत्यंत अत्यंत उपयोगी साबित हो सकती है. 

उन्होंने अपने शोध के बारे में बताया कि उनके द्वारा विकसित सौर सेल के माध्यम से मामूली लागत पर स्वच्छ सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है. प्रोफेसर नंदू बी. चौरे के मार्गदर्शन में डॉ. दीपमाला साली ने 5 साल में विद्वतापूर्ण थीसिस तैयार की है. विशेषज्ञों का मत है कि डाॅ. साली का शोध सौर ऊर्जा क्षेत्र में अत्यंत उपयोगी साबित होगा.

 साधारण उपकरण से बना कैडमियम टेल्यूराइड सौर सेल

महाज्योति संस्था के प्रबंध निदेशक डॉ. राजेश खवले ने डॉ. दीपमाला साली का अभिनंदन किया. इस अवसर पर डॉ. साली ने बताया कि स्वच्छ ऊर्जा पैदा करने के लिए सौर पैनलों में सौर सेल अर्धचालक, आमतौर पर सिलिकॉन से बने होते हैं. लेकिन सिलिकॉन सौर सेल स्थापित करने की प्रारंभिक लागत बहुत अधिक है. मैंने कैडमियम टेल्यूराइड सौर कोशिकाओं पर शोध किया. हमारे द्वारा निर्मित कैडमियम टेल्यूराइड सौर सेल की लागत बहुत कम है. उपरोक्त सोलर सेल एक बहुत ही साधारण उपकरण से बनाया गया है. साथ ही इन सोलर सेलों का उपयोग लंबे समय तक किया जा सकता है और भविष्य में इस शोध का उपयोग औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है.

डॉ. साली ने कहा कि मेरा शोध निश्चित रूप से सौर ऊर्जा में क्रांति लाएगा. डॉ. दीपमाला साली, ‘महाज्योति’ के प्रबंध निदेशक राजेश खवले के सहयोग के लिए पिता प्रभाकर साली और मां श्रीमती नीलम साली के आशीर्वाद के लिए धन्यवाद दिया. डॉ. साली का यह भी मानना ​​है कि ‘महाज्योति’ संस्था से मिलने वाली फेलोशिप का लाभ शोधकर्ताओं को भविष्य में भी मिलेगा. 

 सौर ऊर्जा में क्रांति का मार्ग ढूंढा डॉ. साली ने : डॉ. खवले

‘महाज्योति’ के प्रबंध निदेशक डॉ. राजेश खवले ने डॉ. साली का अभिनन्दन करते हुए कहा कि मानव प्रतिभाएं दुनिया की दो प्रमुख समस्याओं, ‘ग्लोबल वार्मिंग और ऊर्जा की कमी’ का चमत्कारी समाधान खोजने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर रही है. इस प्रकार, दुनिया भर के वैज्ञानिक वर्तमान में वैकल्पिक ईंधन और ऊर्जा स्रोतों को खोजने और उनका वास्तव में उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं. क्योंकि जीवाश्म ईंधन के सीमित भंडार और उनके दहन से होने वाला वायु प्रदूषण और उसके परिणामस्वरूप तापमान में वृद्धि सहित अन्य गंभीर समस्याएं आज पूरी दुनिया के सामने एक बड़ी समस्या बन गई हैं. 

डॉ. खवले ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सौर ऊर्जा  में कैडमियम टेल्यूराइड सौर सेल का डॉ. साली का यह अनुसंधान हमारी संस्था के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. दीपमाला के इस शोध से मामूली लागत पर साधारण उपकरणों से पर्यावरण अनुकूल सौर ऊर्जा उत्पन्न हो सकेगी. सौर ऊर्जा क्षेत्र में यह एक क्रांतिकारी कदम है. 

उल्लेखनीय है कि ‘महाज्योति’ के माध्यम से ओबीसी, वीजेएनटी, एसबीसी वर्ग के पीएचडी शोध छात्रों को छात्रवृत्ति के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करने का बहुमूल्य कार्य किया जाता है. संस्था महाराष्ट्र के इन पीएचडी शोध छात्रों को ट्यूशन फीस के माध्यम से भी वित्तीय सहायता प्रदान करती है. डॉ. दीपमाला साली ने भी ‘महाज्योति’ के सहयोग से सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, पुणे से भौतिकी में पीएचडी पूरी की है. “पतली फिल्म सीडीटीई सौर कोशिकाओं के लिए कम प्रतिरोधी बैक संपर्क बफर परतों पर अध्ययन” पर डॉ. साली ने थीसिस प्रस्तुत किया.