बिहार के उपमुख्यमंत्री ने उजागर किया राजद प्रमुख के पुराने दिनों के भी कारनामें
कन्हैया भेलारी,
पटना : अपनी पांचवी किताब ‘लालू-लीला’ की लॉन्चिंग के बाद विशेष बातचीत में बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने बताया कि ‘लालू यादव से मेरी पहली मुलाकात 1969 में हुई थी. तभी मुझे लगा था कि ये विशेष किस्म के इंसान हैं’. फिर मुस्कुराते हुए आगे कहते हैं कि ‘49 साल बाद आज मुझे लगता है कि लालू यादव को देखने और परखने का मेरा नजरिया बिल्कुल सही था. गलत तरीके से पैसा बनाने की उनकी चाहत हमेशा से ही रही थी.’
परिवार मोह में अपने आपको भ्रष्टतम आदमी बना लिया…
सुशील कुमार मोदी एक पुरानी घटना को याद करके अपनी बात को पुख्ता करते हैं, ‘बतौर पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष लालू यादव चीनी का परमिट लेकर चीनी ब्लैक में बेचने का काम करते थे. तब मैं उनका महासचिव हुआ करता था.’ बहरहाल, बुराइयों के बावजूद मोदी बेबाकी से स्वीकार करते हैं कि लालू यादव जैसा ताकतवर नेता देश में 20वीं शताब्दी में पैदा नहीं हुआ था. लेकिन गरीबों के इतने बड़े नेता ने परिवार मोह में अपने आपको भ्रष्टतम आदमी बना लिया. अंग्रेजों के चंगुल से देश को आजाद कराने के लिए सुभाषचंद्र बोस ने लोगों से कहा था कि आप मुझे खून दें, मैं आपको आजादी दूंगा. लालू यादव कहते हैं कि ‘आप मुझे पैसा दें, मैं आपको काम दूंगा’.
अपने पोजिशन का बेरहमी के साथ दुरुपयोग किया…
198 पेज की किताब में सुशील कुमार मोदी ने विस्तार से बताया है कि किस तरह लालू यादव ने अपने परिवार को अरबपति बनाने के लिए अपने पोजिशन का बेरहमी के साथ दुरुपयोग किया. किताब के अनुसार, 15 साल तक बिहार की बागडोर अपने हाथ में रखकर और 5 साल तक रेलवे मंत्री की कुर्सी पर बैठकर लालू यादव ने अपने और परिवार के नाम पर कुल 141 बेशकीमती जमीन, 30 फ्लैट और 6 आलीशान बंगले बनाए.
किताब बताती है कि…
लालू परिवार की भ्रष्टाचार जनित अकूत संपत्ति की पड़ताल सुशील कुमार मोदी ने बहुत ही गहन तरीके से की है. किताब बताती है कि पड़ताल की शुरुआत में मिट्टी घोटाला सामने आया. इसी मिट्टी घोटाले की कोख से रेलवे टेंडर घोटाले के जरिए पटना की बेशकीमती साढ़े तीन एकड़ जमीन पर बन रहे बिहार के सबसे बड़े मॉल का पर्दाफाश हुआ. उसके बाद फर्जी कम्पनियां उजागर होती चली गईं.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी धोया राजद नेता पर हाथ
किताब की लॉन्चिंग प्रोग्राम में शामिल केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के अनुसार, यह किताब नहीं बल्कि डाक्यूमेंट्री प्रूफ है, जो साबित करती है कि लालू यादव ने गरीबों के उत्थान करने के नाम पर कैसे बिहार को लूटा है. मोदी ने लिखा है कि लालू यादव ने दान, वसीयत, लीज और पॉवर ऑफ अटॅार्नी के मार्फत अकूत संपत्ति अर्जित की है. आरजेडी सुप्रीमो ने विधायक, पार्षद, सांसद और मंत्री बनाने के एवज में रघुनाथ झा और कांति सिंह से भी जमीन और मकान गिफ्ट में लिए. अनवर अहमद उर्फ ‘कबाब मंत्री’ को विधान परिषद सदस्य बनाने के बदले उसके अवमी बैंक से करोड़ों रुपये ट्रांसफर कराए. उसी तरह कुमार राकेश रंजन और शमीम को विधान पार्षद बनाने के एवज में पत्नी और बेटों के नाम पर जमीन लिखवाया. भ्रष्टाचार से कमाए कालेधन को सफेद करने के लिए बीपीएल श्रेणी के ललन चौधरी, रेलवे के खलासी हृदयानंद चौधरी और भूमिहीन प्रभुनाथ यादव, चंद्रकांता देवी, सुभाष चौधरी से नौकरी, ठेका और अन्य तरीके का लाभ पहुंचाने के एवज में करोड़ों रुपए कीमत की जमीन और मकान दान स्वरूप लिए. अपने खास रिश्तेदारों को भी बेनामी संपत्ति हासिल करने का माध्यम बनाने में लालू यादव ने संकोच या शर्म नहीं किया. बड़े भाई मंगरू राय के समधी के घर, अपनी ससुराल, बेटी की ससुराल के रिश्तेदारों के नाम से पहले अपनी काली कमाई से जमीन-मकान खरीदा और बाद में राबड़ी देवी, तेजप्रताप यादव, तेजस्वी यादव और मीसा भारती के नाम गिफ्ट करवा दिया.आज की ‘लालू-लीला’ किताब की लॉन्चिंग प्रोग्राम में मौजूद तमाम वक्ताओं के निशाने पर लालू यादव ही रहें.
केंन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह जैसे नेताओं ने जोर देकर कहा, ‘अगले चुनाव में भ्रष्टाचार बहुत बड़ा मुद्दा बनेगा. एक तरफ बेदाग पीएम नरेंद्र मोदी होंगे और दूसरी तरफ लालू यादव जैसे नेता होंगे’.
(प्रस्तुति : सीमा सिन्हा, पटना)