कश्मीर घाटी के पत्थरबाजों, आतंकियों की अब खैर नहीं

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शुरू होंगी बड़ी कार्रवाई व ऑपरेशंस, नहीं चलेगी राजनीतिक दखलंदाजी

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन की इस तैयारी शुरू कर है. यहां दिल्ली में भी उच्च स्तरीय बैठकों का दौर शुरू हो गया है. जम्मू-कश्मीर में राज्य के भविष्य को लेकर बड़े फैसलों लिए जा रहे हैं. जानकार सूत्रों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगने के साथ ही आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशंस और पत्थरबाजों पर कार्रवाई में तेजी लाई जा सकती है.

आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशंस में तेजी
सूत्रों बताया कि कश्मीर में अमरनाथ यात्रा से पहले आतंकियों के खिलाफ कुछ बड़े ऑपरेशंस को अंजाम दिया जा सकता है. इसके लिए सेना की राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस दक्षिण कश्मीर के कुछ जिलों में बड़े स्तर पर अभियान चलाने की तैयारी भी कर रही है.

‘ऑपरेशन किल टॉप कमांडर’ और ‘ऑपरेशन ऑल आउट’
समझा जाता है कि सेना के जवान औरंगजेब और पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की वारदातों के बाद अब सेना दक्षिण कश्मीर में कुछ बड़े ऑपरेशंस को अंजाम दे सकती है. इसके अलावा आने वाले दिनों में पैरा स्पेशल फोर्सेज के साथ ‘ऑपरेशन किल टॉप कमांडर’ और ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ जैसे कुछ नए ऑपरेशंस भी शुरू किए जा सकते हैं.

पत्थरबाजों से भी सख्ती से निपटने की तैयारी
सेना के इन ऑपरेशंस के अलावा दक्षिण कश्मीर में पत्थरबाजों पर बड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है. 2016 की हिंसा के दौरान कश्मीर में भाजपा-पीडीपी सरकार के दौरान 9 हजार से अधिक पत्थरबाजों पर केस दर्ज हुए थे. इन सभी पत्थरबाजों में एक बड़ी संख्या उन युवकों की थी, जिन्हें दक्षिण कश्मीर के जिलों से गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के कुछ महीनों बाद महबूबा सरकार ने सैकड़ों पत्थरबाजों पर से मुकदमे वापस ले लिए थे. सरकार का कहना था कि युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए यह कदम उठाए गए हैं, जबकि विपक्षी पार्टियों का आरोप था कि महबूबा ने श्रीनगर और अनंतनाग सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर लोगों के समर्थन के लिए ऐसा किया था.

नहीं होगी कोई दखलंदाजी
इस फैसले के बाद केंद्र की भाजपा सरकार को भी कई मोर्चों पर विरोध और आलोचना का सामना करना पड़ा था. ऐसे में अब यदि राज्यपाल शासन की स्थितियां बनती हैं तो फिलहाल 2019 के चुनाव तक पत्थरबाजों पर कार्रवाई पर कोई सियासी दखलंदाजी नहीं होगी.

गृह मंत्री राजनाथ सिंह की रिपोर्ट पर भाजपा हो गई थी सक्रिय
सूत्रों के अनुसार महबूबा सरकार से समर्थन वापसी की रणनीति 12 रोज पहले ही बनने लगी थी. दरअसल, अपने दौरे के बीच ही राजनाथ सिंह ने घाटी में सुरक्षा हालातों की समीक्षा की थी. इस दौरान राजनाथ सिंह ने अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा एजेंसियों से रिपोर्ट भी ली थी, उन्होंने तीनों संभागों जम्मू, श्रीनगर और लद्दाख क्षेत्रों के पार्टी नेताओं से मुलाकात की थी. राजनाथ के इस दौरे के बाद दिल्ली में पीएम मोदी को इसकी रिपोर्ट सौंपी गई थी, जिसके बाद पार्टी की ओर से सरकार से समर्थन वापसी की कवायद शुरू कर दी गई थी.

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