विपक्षी समर्थन के अभाव में विफल रहा झारखंड बंद

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रांची के अलबर्ट एक्का चौक पर भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल के विरोध में नारेबाजी करते युवक.

आदिवासी सेंगेल और झारखंड दिशोम ने किया था भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ आह्वान

बरुण कुमार
रांची :
भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ झारखंड बंद विपक्षी दलों के समर्थन के अभाव में विफल रहा. आदिवासी सेंगेल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी ने सड़क जाम करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने इन्हें हिरासत में ले लिया.

आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी बंद बेअसर
बोकारो जिला के जारीडीह ब्लॉक स्थित तुपकाडीह सड़क को कुछ देर के लिए जाम किया गया. करीब 8.45 बजे पुलिस ने 20 लोगों को हिरासत में लेकर जाम खत्म करवा दिया. बोकारो जिला के अन्य क्षेत्रों में भी बंदी का असर नहीं दिखा. पुलिस और प्रशासन ने बंदी से निबटने के पुख्ता इंतजाम किये थे. लोहरदगा में भी बंदी बेअसर है. वाहनों का परिचालन सामान्य है. दुकानें, शिक्षण और सरकारी संस्थान खुले हैं. इसी प्रकार डाल्टनगंज, गढ़वा, रामगढ़, धनबाद, गिरीडीह, देवघर, दुमका सहित सिमडेगा और गुमला में भी बंद की आह्वान का कोई खास असर नहीं पड़ने का समाचार है.

नहीं मिला कांग्रेस, झामुमो का समर्थन
आदिवासी सेंगेल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल के खिलाफ सोमवार (18 जून) को झारखंड बंद का एलान किया था. उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस समेत तमाम विरोधी दलों से बंद को समर्थन देने की अपील की थी, लेकिन किसी ने उनके आग्रह को स्वीकार नहीं किया.

क्या है झारखंड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल 2017
आदिवासी सेंगेल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी इस झारखंड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल 2017 को आदिवासियों और मूलवासियों के लिए डेथ वारंट मानती है. ज्ञातव्य है कि झारखंड विधानसभा ने 12 अगस्त, 2017 को भूमि अर्जन-पुनर्वासन एवं पुनर्स्थापना में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार, झारखंड संशोधन विधेयक-2017 पारित किया था. इसमें सोशल इम्पैक्ट के अध्ययन के प्रावधान को खत्म कर दिया गया.

इससे सरकारी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी, रेल परियोजना, सिंचाई योजना, विद्युतीकरण, जलापूर्ति योजना, सड़क, पाइप लाइन, जलमार्ग और गरीबों के आवास बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण करने का रास्ता साफ हो गया. हालांकि, पिछले साल विधानसभा के मॉनसून सत्र में भू-अर्जन में सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट खत्म करने पर विपक्ष की कड़ी आपत्ति के बावजूद भारी शोर-शराबे के बीच यह बिल ध्वनिमत से पारित हो गया था.

बिल में संशोधन आदिवासियों के हित में : प्रदेश भाजपा
झारखंड में सत्तारूढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने कल रविवार को संशोधन को आदिवासियों-मूलवासियों और रैयतों के हित में बताया. स्पष्ट किया कि सिर्फ सरकारी योजनाओं के लिए ही भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा और कृषि भूमि का अधिग्रहण विशेष परिस्थिति में ही किया जाएगा. किसी भी जिले में कुल शुद्ध बोया क्षेत्र (खेतिहर जमीन) के एक चौथाई से अधिक का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा.

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