विश्व की शांति के पहले मन की शांति परम आवश्यक

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रेशीमबाग स्थित कविवर्य सुरेश भट सभागृह में आयोजित दो दिवसीय सम्मलेन का उदघाटन केंद्रीय सामाजिक न्याय और सक्षमीकरण राज्यमंत्री रामदास आठवले ने किया

अंतरराष्ट्रीय शांति एवं समता परिषद के सम्मेलन में आचार्य लोकेश मुनि जी का प्रतिपादन

नागपुर : अंतरराष्ट्रीय शांति एवं समता परिषद के अंतर्गत “सामाजिक शांति और समता” विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मलेन के पहले दिन आज यहां अहिंसा विश्व भारती के आचार्य लोकेश मुनि जी ने प्रतिपादित किया कि विश्व की शांति के पहले मन की शांति परम आवश्यक है. मन शांत नहीं रहा तो व्यक्ति शांत नहीं रह सकता. गौतम बुद्ध ने विश्व को यही संदेश दिया है. उन्होंने विश्व को शांति और करुणा की मार्ग दिखलाया. जिसका अवलम्बन डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने कर लोगों को उसी मार्ग पर चलने को प्रेरित किया है.

महाराष्ट्र शासन के सामाजिक न्याय विभाग, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर संशोधन संस्था (बार्टी) व समता प्रतिष्ठान नागपुर के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय वैशाख दिन (बौद्ध पौर्णिमा निमित्त) रेशीमबाग स्थित कविवर्य सुरेश भट सभागृह में आयोजित इस दो दिवसीय सम्मलेन का उदघाटन केंद्रीय सामाजिक न्याय और सक्षमीकरण राज्यमंत्री रामदास आठवले ने किया.

दीक्षाभूमि से विश्व को शांति का सन्देश पहुंचाएं : अब्दुल फलाही
इसी क्रम ने मुस्लिम समाज के विद्वान जनाब अब्दुल फलाही ने कहा कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने दीक्षाभूमि पर बुद्ध की शांति, अहिंसा और करुणा के सन्देश को पुनर्जीवित किया है. उन्होंने दीक्षाभूमि से विश्व को शांति का सन्देश पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया. फलाही ने कहा कि इस्लाम धर्म भी शांति का धर्म है. लेकिन कुछ असामाजिक तत्व इस्लाम का नाम पर समाज में कटुता और विद्वेष फैलाने का काम कर रहे हैं. ऐसे तत्वों को रोकना और शांति का सन्देश आज समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाना जरूरी है.

बुद्ध के धम्म को समझने की आवश्यकता
इस अवसर पर दुनिया भर से आए बौद्ध विद्वानों ने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की समता की संकल्पना पर अपने विचार व्यक्त करते हुए इस सन्दर्भ में गौतम बुद्ध के धम्म को समझने की आवश्यकता पर बल दिया.

आंबेडकर की समता की संकल्पना
सम्मेलन में थाइलैंड से डॉ. सिरीकोतन मनिरीन, राजकुमारी मारिया अमोर, राकुमारी सिसोवॉट, गगन मलिक के साथ महाबोधी सोसायटी , श्रीलंका के अध्यक्ष बानागल उपत्तीस्स नायक थेरो, बांग्लादेश के भंते बानाश्री महाथेरा संघनायक आदि ने समता की संकल्पना पर अपने विचार प्रस्तुत किए. इसके बाद थाईलैंड और कंबोडिया के कलाकारों ने अपने देश की कला का प्रदर्शन कर विश्वशांति का सन्देश दिया.

कल रविवार के कार्यक्रम में 10.30 बजे केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी उपस्थित रहेंगे. कल का कार्यक्रम सुबह 7 बजे से शुरू होकर देर शाम को समाप्त होगा.

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