दिवालिया घोषित होने की कगार पर पहुंची अनिल अंबानी की 3 टेलिकॉम कंपनियां

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एरिक्सन का दावा 11.5 अरब रुपए का, वित्तीय संस्थानों का 450 अरब है बकाया

मुंबई : टेलिकॉम गियर कंपनी एरिक्सन की तीनों याचिका मंजूर हो जाने के बाद अनिल अंबानी की 3 दूरसंचार कंपनियां दिवालिया संहिता के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के दायरे में आ गई हैं.

एरिक्सन ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम), रिलायंस इन्फ्राटेल और रिलायंस टेलिकॉम के खिलाफ दिवालिया याचिका दाखिल की थी, जो इन कंपनियों के बुनियादी ढांचों के रखरखाव, उसके उन्नयन आदि के भुगतान से जुड़ा था.

आज इन्सॉल्वेंसी ट्राइब्यूनल के समक्ष एरिक्सन पेश करेगा प्रस्ताव
एरिक्सन आज बुधवार, 16 मई को एनसीएलटी के मुंबई पीठ के सामने उपयुक्त रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल के नाम का प्रस्ताव रखने वाली है. रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल के पास कर्ज पुनर्भुगतान योजना या समापन योजना पर काम करने के लिए इसके बाद कुल 270 दिन का वक्त मिलेगा और बैंकरों व ट्रिब्यूनल की मंजूरी चाहिए होगी.

पिछले सप्ताह एरिक्सन के कानूनी प्रतिनिधिधयों ने ट्रिब्यूनल से कहा था कि उनपर कुल बकाया 11.5 अरब रुपए है. अब तीनों कंपनियां आईबीसी के दायरे में आ गई हैं, लिहाजा अन्य परिचालक लेनदार अपने बकाया वसूली के लिए ट्रिब्यूनल से संपर्क कर सकते हैं.

इसके जवाब में आरकॉम के वकील ने तर्क दिया कि इसी आधार पर बकाया वसूली की याचिका आब्ट्रिेशनल ट्रिब्यूनल के पास दाखिल की गई थी, लिहाजा आईबीसी के दायरे में कंपनी को लाना जरूरी नहीं है.

जिओ के साथ हुआ करार भी संभवतः अब काम नहीं आएगा
अनिल अंबानी की अगुआई वाली आरकॉम के ऊपर वित्तीय संस्थानों का करीब 450 अरब रुपए बकाया है और पिछले दिसंबर को कंपनी को अपने कर्ज के पुनर्गठन पर पर सहमति मिली थी. कर्ज पुनर्गठन योजना में स्पेक्ट्रम, मोबाइल टावर, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क जैसी संपत्तियां अपने भाई मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो को 180 अरब रुपए में बेचना शामिल है. जियो ने भी टावर, फाइबर और स्पेक्ट्रम साझा करने का आरकॉम केसाथ 2016 में समझौता किया था. यह सौदा 26 अगस्त तक पूरा होना था, लेकिन एनसीएलटी के आदेश के तहत तीनों कंपनियां आईबीसी के दायरे में आ गई.

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