बाप : दलित राजनीति के अखाड़े पर नई पार्टी का उदय

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आईआईटी के 50 छात्रों ने एससी, एसटी, ओबीसी के अधिकारों के लिए बनाई एक राजनीतिक पार्टी

नई दिल्ली : देश की सबसे बड़ी जनसंख्या वाले जातीय समूहों अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग (एससी, एसटी, ओबीसी) को साधने के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस, सहित अन्य क्षेत्रीय पार्टियों में समाजवादी पार्टी (सपा), अकाली दाल, शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस, जनता दल यू समेत अनेक राजनीतिक दलों की सक्रियता में अब जल्द ही बड़ा सेंध लगने जा रहा है.

“बहुजन आजाद पार्टी” यानि “बाप”
देश सबसे प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के 50 पूर्व छात्रों ने एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए अपनी नौकरियां छोड़कर एक राजनीतिक पार्टी बनाई है. इन्हीं जाति समूहों से सम्बद्ध इन युवकों की “बहुजन आजाद पार्टी” यानि “बाप” अब भारतीय राजनीतिक क्षितिज पर जल्द ही अपनी चमक बिखेरने के लिए तैयार है. अरविंद केजरीवाल की पार्टी “आप” की तर्ज पर “बाप” का यह नामकरण भी कम दमदार नहीं है.

नवीन कुमार, संपथ कुमार बनोथ और विक्रांत वत्सल की तिकड़ी
अब समाजसेवा के साथ-साथ राजनीति को एक अच्छा करियर बनाने में जुटे युवाओं की यह टुकड़ी आने वाले दिनों में राष्ट्रीय दलों के लिए कौन सा पैगाम लाती है, यह देखना दिलचस्प होगा. इस नए विचार के थिंक टैंक नवीन कुमार के साथ संपथ कुमार बनोथ और विक्रांत वत्सल की तिकड़ी अपनी नई पार्टी को आकार देने में जुट गए हैं. उन्होंने चुनाव आयोग में में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दे दिया है और मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं.

ब्यूरोक्रेट्स और अन्य पदों पर तैनात लोग भी आए हैं राजनीति में
पिछले कुछ सालों में ब्यूरोक्रेट्स और अन्य पदों पर तैनात लोग द्वारा अच्छी खासी नौकरी छोड़कर राजनीति में सफलता के झंडे गाड़े हैं, इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम सबसे आगे हैं. अब प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के 50 पूर्व छात्रों ने एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए अपनी नौकरियां छोड़कर एक राजनीतिक पार्टी बना ली है.

पार्टी के लिए अपनी पूर्णकालिक नौकरियां छोड़ीं
चुनाव आयोग की मंजूरी का इंतजार कर रहे इस समूह ने अपने राजनीतिक संगठन का नाम ‘बहुजन आजाद पार्टी’ (BAP) रखा है. इस समूह के नेतृत्वकर्ता और वर्ष 2015 में आईआईटी (दिल्ली) से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुके नवीन कुमार ने बताया कि उनका 50 लोगों का एक समूह है. सभी अलग-अलग आईआईटी से हैं. और इन सभी ने पार्टी के लिए काम करने की खातिर अपनी पूर्णकालिक नौकरियां छोड़ी हैं. नवीन ने बताया कि हमने मंजूरी के लिए चुनाव आयोग में अर्जी डाली है और इस बीच जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं.

निशाना है 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव
नवीन ने बताया कि वे आनन-फानन में चुनावी मैदान में नहीं कूदना चाहते. उनका मकसद 2019 के लोकसभा चुनाव लड़ना नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हम जल्दबाजी में कोई काम नहीं करना चाहते और हम बड़ी महत्वाकांक्षा वाला छोटा संगठन बनकर रह जाना नहीं चाहते. हम 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से शुरुआत करेंगे और फिर अगले लोकसभा चुनाव का लक्ष्य तय करेंगे.’

सोशल मीडिया पर प्रचार भी शुरू
इस संगठन में मुख्यत: एससी, एसटी और ओबीसी तबके के सदस्य हैं जिनका मानना है कि पिछड़े वर्गों को शिक्षा एवं रोजगार के मामले में उनका वाजिब हक नहीं मिला है. पार्टी ने भीमराव आंबेडकर, ज्योतिबा फुले, सुभाष चंद्र बोस, कांशी राम, एपीजे अब्दुल कलाम सहित अन्य नेताओं की तस्वीरें लगाकर सोशल मीडिया पर प्रचार भी शुरू कर दिया है.

पहले पार्टी छोटी-छोटी इकाइयां बनाएंगे
नवीन ने बताया कि एक बार पंजीकरण करा लेने के बाद हम पार्टी की छोटी इकाइयां बनाएंगे, जो हमारे लक्षित समूहों के लिए जमीनी स्तर पर काम करना शुरू करेगी. हम खुद को किसी राजनीतिक पार्टी या विचारधारा की प्रतिद्वंद्वी के तौर पर पेश नहीं करना चाहते.

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