जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग उच्चतम न्यायालय ने किया खारिज

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नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी.एच. लोया की कथित रहस्यमय मौत की स्वतंत्र जांच की मांग की याचिका खारिज कर दी है. जज लोया हाई प्रोफाइल सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई रहे थे.

राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा था
न्यायालय ने कहा कि लोया के साथ 3 जज और थे. उनकी बात पर यकीन न करने की कोई वजह नहीं है. अदालत ने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा था. ज्ञातव्य है कि 1 दिसंबर, 2014 को लोया की नागपुर में कार्डियक अरेस्ट से कथित तौर पर मृत्यु हो गई थी. जब वह एक सहयोगी की बेटी की शादी में भाग लेने गए थे. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने 16 मार्च को एक याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया था.

जजों पर आरोप अनुचित
न्यायालय ने आज कहा कि जिस तरह से बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों पर टिप्पणियां की गईं, जो उन पर आरोप लगाए गए, वे अनुचित हैं. अदालत ने कहा कि यह अवमानना का मामला है, हालांकि हम ऐसी कार्यवाही करेंगे नहीं. उच्चतम न्यायालय की यह टिप्पणी आई कि इस मामले में न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की गई है. अदालत ने इस मामले से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि याचिकाओं में कोई योग्यता नहीं थी.

न्यायापालिका को बदनाम करना चाहते थे याचिकाकर्ता
अदालत ने कहा कि इसके साथ ही मौजूदा न्यायाधीशों के बयान पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है, याचिकाकर्ताओं का प्रयास न्यायपालिका को बदनाम करना था. इस मामले में याचिकाकर्ताओं की अगुवाई वकील दुष्यंत दवे, इंदिरा जयसिन्ह और प्रशांत भूषण कर रहे थे. तीन जजों की पीठ में से एक जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाया.

प्रशांत भूषण ने कहा- फैसला बहुत ही गलत है
इस मामले में एक याचिकाकर्ता और वकील प्रशांत भूषण ने आज सुप्रीम कोर्ट के लिए काला दिन बताया है. उन्होंने कहा कि फैसला बहुत ही गलत है. भूषण ने कहा कि जज लोया की मौत को लेकर शक करने के लिए इतनी सारे कारण थे, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने सभी को दरकिनार कर दिया.

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