बावनथड़ी के प्रकल्पग्रस्त आंदोलनरत ग्रामीणों ने किया अर्द्धनग्न प्रदर्शन

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नागपुर के संविधान चौक पर शनिवार को अर्धनग्नावस्था में प्रदर्शन कर रहे बावनथड़ी प्रकल्प के पीड़ित किसान.

नागपुर : बावनथड़ी प्रकल्प के दो गांवों के करीब 742 ग्रामीण 200 और 250 एकड़ जमीन के मुहावजे के लिए पिछले 35 वर्षों से संघर्ष करते हुए अपना शब्र खोते जा रहे हैं. पिछले 6 दिनों से स्थानीय संविधान चौक पर अनशन प्रदर्शन कर रहे पीड़ित किसानों के एक समूह ने आज शनिवार, 3 फरवरी को अर्धनग्न प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी का इजहार किया.

742 लोगों को जमीन का मुहावजा नहीं मिला

बावनथड़ी प्रकल्पग्रस्त पिंडकापार और मुरझड़ गांव सहित सात गांवों से 3 दशक पहले जमीन अधिगृहीत की गई थी. इनमें से वर्ष 1982 में पांच गांवों को एक लाख रुपए अनुदान और जमीन का मुहावजा मिला था. लेकिन इनमें से दो गांवों पिंडकापार और मुरझड़ के करीब 742 लोगों को 200 से 250 एकड़ जमीन का मुहावजा अब तक नहीं मिल पाया है.

35 वर्षो से संघर्षरत हैं ग्रामीण, किसान

इसके लिए पिछले 35 वर्षो से यह ग्रामीण, किसान अपने मुहावजे को लेकर सरकारी दफ्तरों के साथ ही विधायकों और मंत्रियों के कार्यालयों के चक्कर लगाते रहे हैं. लेकिन इन्हें अब न्याय नहीं मिल पाया है. इसी के विरोध में संविधान चौक पर इनमें से कुछ लोगों ने अर्धनग्न होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर अपना रोष भी प्रकट किया.

पालक मंत्री बावनकुले को दिया निवेदन

ग्रामीणों की एक्शन कमेटी के अध्यक्ष सचिन बिसेन ने बताया कि सरकार से 2 करोड़ रुपए के अनुदान की मांग की गई है, तभी इन किसानों को लाभ मिल सकता है. उन्होंने बताया कि पालक मंत्री चंद्रशेखर बावबकुले को इस आशय का निवेदन दिया गया है.

जलप्रदाय विभाग की गलती के कारण मुआवजे वंचित

बिसेन ने बताया कि नागपुर स्थित जलप्रदाय विभाग के अधिकारियों की गलती के कारण 35 वर्ष बाद भी दो गांवों पिंडकापार और मुरझड़ के ग्रामीणों को मुहावजा और अनुदान नहीं मिल पाया है. उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से पिछले 35 वर्षों से गलत आंकड़े जारी किए जा रहे हैं. जिसके कारण ही इन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने बताया कि अब तीसरी पीढ़ी इस आंदोलन में शामिल हो चुकी है.

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