वेस्टर्न

वेस्टर्न कोलफील्ड्स लि. ने जीते सात पुरस्कार

 कोलकाता में आयोजित कोल इंडिया स्थापना दिवस पर मिले अवार्ड  नागपुर : कोल इंडिया लिमिटेड के 49 वें स्थापना दिवस पर वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) को स्वच्छता पखवाड़ा के लिए कॉरपोरेट अवार्ड (Corporate Award on Swachhta Pakhwada) से सम्मानित किया गया. इसी प्रकार सर्वोत्कृष्ट कार्य करने वाली कंपनी की श्रेणी में स्टार रेटिंग के लिए कॉरपोरेट अवार्ड (Corporate Award on Star Rating – Best Performing Subsidiary) तथा सर्वोत्कृष्ट कार्य करने वाली खुली खदान की श्रेणी में स्टार रेटिंग के लिए कॉरपोरेट (Corporate Award on Star Rating – Best Performing Open Cast Mine), में तृतीय स्थान से सम्मानित किया गया.  व्यक्तिगत पुरस्कारों में वेस्टर्न कोलफील्ड्स मुख्यालय के जॉर्ज मैथिव को सर्वोत्कृष्ट विभागाध्यक्ष (Best HoD), माजरी क्षेत्र के महाप्रबंधक इलियास हुसेन शेख को सर्वोत्कृष्ट क्षेत्रीय महाप्रबंधक तथा उत्कृष्ट कार्य के लिए एम.के. बालुका, महाप्रबंधक (वित्त) को व्यक्तिगत उत्कृष्टता अवार्ड से सम्मानित किया गया. इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के बेहतर क्रियान्वयन के लिए नीली पुरुषोत्तम, महाप्रबंधक (ई एंड टी), कल्लूरी रामकृष्ण रेड्डी, मुख्य प्रबंधक (ई एंड टी) तथा वैभव कुमार यादव, सहायक प्रबंधक (ई एंड टी) को विशेष योगदान अवार्ड (Special Contribution Award) से सम्मानित किया गया.  सर्वोत्कृष्ट कार्य करने वाली कंपनी की श्रेणी में स्टार रेटिंग के लिए कॉरपोरेट अवार्ड (Corporate Award on Star Rating – Best Performing Subsidiary) तथा सर्वोत्कृष्ट कार्य करने वाली खुली खदान की श्रेणी में स्टार रेटिंग के लिए कॉरपोरेट (Corporate Award on Star Rating – Best Performing Open Cast Mine), में तृतीय स्थान से सम्मानित किया गया.  उक्त पुरस्कार कोलकाता में आयोजित सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि पी.एम. प्रसाद, चेयरमैन, सीआईएल, कोयला मंत्रालय के अवर सचिव द्वय एम. नागराजू एवं श्रीमती विस्मिता तेज के करकमलों से वेस्टर्न कोलफील्ड्स के सीएमडी मनोज कुमार एवं विजेताओं ने ग्रहण किए. मनोज कुमार ने इन उपलब्धियों का श्रेय पूरी टीम को दिया और उन्हें बधाई दी. कोल इंडिया स्थापना दिवस पर वेकोलि को मिले इन 07 अवार्ड्स से टीम वेकोलि में हर्ष व्याप्त है.
अडानी

अडानी मामले में दो पत्रकारों को गिरफ्तारी से मिली राहत 

पुलिस को 1 दिसंबर तक कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाने, पत्रकारों को जांच में सहयोग की हिदायत नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 नवंबर) को फाइनेंशियल टाइम्स के दो पत्रकारों बेंजामिन निकोलस ब्रुक पार्किन और क्लो नीना कोर्निश को दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की, जिन्हें गुजरात पुलिस ने अडानी ग्रुप के खिलाफ अगस्त में प्रकाशित आर्टिकल के संबंध में तलब किया था. जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने पत्रकारों द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख यानी 1 दिसंबर तक उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा. खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं को जांच में सहयोग करना होगा. पत्रकारों की ओर से पेश हुए सीनियर वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया कि इसी तरह की परिस्थितियों में पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों के एक अन्य समूह रवि नायर और आनंद मंगनाले को अडानी-हिंडनबर्ग विवाद पर उनके द्वारा लिखे गए इसी तरह के आर्टिकल पर गुजरात पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी. अग्रवाल ने यह भी बताया कि समन में फाइनेंशियल टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक आर्टिकल का उल्लेख किया गया, जिसकी हेडिंग- 'सीक्रेट पेपर ट्रेल से छिपे हुए अडानी निवेशकों का पता चलता है', हालांकि, जिन याचिकाकर्ताओं को तलब किया गया है, वे नहीं हैं, जिन्होंने उक्त रिपोर्ट लिखी थी. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका एफटी के दिल्ली संवाददाता बेंजामिन निकोलस ब्रुक पार्किन और इसके मुंबई संवाददाता क्लो नीना कोर्निश द्वारा दायर की गई, जिन्हें गुजरात पुलिस ने अदानी समूह की कंपनियों में निवेशक द्वारा दायर शिकायत पर प्रारंभिक जांच के लिए बुलाया है. इस मामले का उल्लेख पत्रकारों के वकील ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष किया, जिन्होंने मामले को आज (शुक्रवार) सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था. अग्रवाल ने अदालत को सूचित किया कि अडानी ग्रुप के निवेशक की शिकायत पर अपराध शाखा अहमदाबाद द्वारा शुरू की जाने वाली प्रारंभिक जांच के लिए समन जारी किया गया था, जिसके खिलाफ यह कहते हुए आर्टिकल लिखा गया कि सार्वजनिक डोमेन में जो वित्तीय डेटा आया है, उसमें गड़बड़ी है. वकील ने बताया कि यह आरोप 'दुर्भावनापूर्ण और झूठे आर्टिकल' के प्रकाशन से संबंधित है.

खुले में निर्माण सामग्री रखने पर 48 हजार का जुर्माना

चंद्रपुर : चंद्रपुर नगर निगम की उपद्रव जांच टीम ने खुले में सड़क पर निर्माण सामग्री रखने वाले 32 संरचनाओं के खिलाफ कार्रवाई की है और 48,000 रुपए का जुर्माना लगाया है. संबंधित से जुर्माना वसूला गया है और उक्त कृत्य दोबारा न करने की चेतावनी भी दी गई है. उल्लेखनीय है कि वायु और विभिन्न प्रकार के प्रदूषण श्वसन और अन्य बीमारियों का कारण बनते हैं. माननीय उच्च न्यायालय ने इसके लिए उत्तरदायी कारकों पर नियंत्रण हेतु कुछ निर्देश दिए हैं. इसमें शहर में कई जगहों पर निर्माण कार्य चल रहे हैं, जब ये निर्माण कार्य चल रहे हैं तो इनमें इस्तेमाल होने वाली ईंट, रेत, सीमेंट, गिट्टी और अन्य सामग्री के कारण खुले में काफी मात्रा में धूल उड़ती नजर आ रही है. इससे वायु प्रदूषण हो रहा है.  दरअसल, जब किसी भी भवन का निर्माण चल रहा हो तो निर्माण स्थल के चारों तरफ निचले हिस्से से लेकर निर्माण की ऊंचाई तक हरे रंग की जाली का इस्तेमाल करना जरूरी होता है. ताकि निर्माण सामग्री से उड़ने वाली धूल से दूसरों को परेशानी न हो.  नगर निगम ने फैसला लिया है कि अब से ऐसे निर्माणों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसी प्रकार मलबे को बिना परिवहन किए उसी स्थान पर निस्तारित करने के निर्देश दिए  जा रहे हैं. माननीय हाई कोर्ट के निर्देशानुसार अब ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
नागपुर

नागपुर जिले में ‘अस्पताल आपके द्वार’ अभियान को मंजूरी

राज्य के सुदूरवर्ती इलाकों में मुहैया कराई जाएंगी चिकित्सा सुविधाएं नागपुर : 'सरकार आपके द्वार' अभियान के तहत महाराष्ट्र शासन ने नागपुर जिले में 'अस्पताल आपके द्वार' अभियान को लागू करने की मंजूरी दे दी है, जो राज्य के प्रत्येक जिले के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों के लोगों को सरकारी खर्च पर आधुनिक त्वरित और उच्च गुणवत्ता वाला स्वास्थ्य कवर प्रदान करेगा. इस महत्वाकांक्षी योजना को राज्य के उपमुख्यमंत्री और जिले के संरक्षक मंत्री देवेंद्र फडणवीस के मार्गदर्शन में बनाई गई है. नागपुर के कलेक्टर डॉ. विपिन इटनकर ने छत्रपति सभागार में जिला स्वास्थ्य व्यवस्था के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में उपस्थित लोगों को यह जानकारी दी. यह महत्वाकांक्षी परियोजना नागपुर जिले के लिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में शुरू की जा रही है. कलेक्टर डॉ. इटनकर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अति आवश्यक एवं गंभीर बीमारियों की रोकथाम के लिए अग्रिम सूचना तंत्र विकसित करने का प्रयास कर रहे थे. इस प्रस्ताव को उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने मंजूरी दे दी है. आभा कार्ड, आयुष्मान कार्ड भी बनाए जाएंगे इस योजना के तहत केंद्र एवं राज्य सरकार की हर योजना का प्रभावी वितरण, आयुष्मान भारत कार्ड, आभा कार्ड बनाना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है. साथ ही प्रजनन और बाल स्वास्थ्य कार्यक्रमों का कार्यान्वयन, मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उपाय किए जाएंगे. इसके अलावा गैर-संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम, 30 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों की मधुमेह, उच्च रक्तचाप के लिए वर्ष में एक बार जांच, 5 वर्षों में एक बार कैंसर पूर्व जांच, कार्यान्वयन राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम का कार्यान्वयन, राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम का कार्यान्वयन भी किया जाएगा. साथ ही, ग्रामीण स्तर पर बच्चों और माताओं के भोजन, पोषण, स्वच्छता, टीकाकरण के बारे में जागरूकता पैदा करके स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव को कम करने, स्वस्थ समाज का निर्माण करने, ग्रामीण स्तर पर सभी को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का काम भी किया जाएगा. 26 एंबुलेंस गाड़ियां तैयार इस योजना के तहत आरोग्य वाहिनी नामक वाहन में डॉक्टरों की उपलब्धता के साथ-साथ दवाओं का स्टॉक भी रखा जाएगा. इस काम के लिए 26 एंबुलेंस गाड़ियां तैयार की गई हैं. तयशुदा कार्यक्रम के मुताबिक प्रत्येक गांव में आरोग्य वाहिनी के साथ-साथ ग्राम स्तरीय सिस्टम भी मौजूद रहेगा. चिकित्सा सुविधाओं के साथ-साथ उन्हें प्राप्त करने के लिए आवश्यक तकनीकी एवं लिपिकीय जनशक्ति भी उपलब्ध करायी जाएगी. प्रतिदिन कितने लोगों की जांच की गई, इसकी रिपोर्ट प्रतिदिन तैयार की जाएगी और जिला प्रणाली जीपीएस सिस्टम के माध्यम से इसे नियंत्रित करेगी. गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करेंगे नियंत्रण यह योजना गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी के नियंत्रण में क्रियान्वित की जाएगी. इसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और ग्राम स्तर की आशा और अन्य कर्मचारी काम करेंगे. आरोग्य वाहिनी गांव में सुविधाजनक स्थान पर पहुंचकर प्रारंभिक जांच करेगी. जांच के बाद आवश्यकता महसूस होने पर मरीजों को रेफरल सेवाएं...
उद्यम यात्रा

उद्यम यात्रा : लेखकों के लिए धनोत्पादन का मार्ग बना सुगम 

 लेखन और मीडिया क्षेत्र में भी डिजिटलाइजेशन ने लाई उद्यमियता    -कल्याण कुमार सिन्हा डिजिटलाइजेशन उद्यम यात्रा को सुगम और सुलभ बनाता जा रहा है. आपकी उद्यम यात्रा आपको कम प्रयास और कम समय में वह सब दिला सकता है, जो आप चाहते हैं. यह समय हाई टाइड (उच्च ज्वार) का है, जब लहरें उफान पर हैं. उफनती लहरों पर सवारी आपकी नौका को गंतव्य तक पहुंचाने में सहायक बन जाती हैं. बस जरूरत है एक ऐसे प्लेटफार्म की, जिस पर आपके पांव जम कर खड़े रहने के अनुकूल हों. ऐसे प्लेटफार्म, आपके व्यवसाय को हमारे-आपके जैसे सामान्य रोजमर्रा के लोगों को आज आसानी से जोड़ते हैं. ऊंची लहरों पर सवार होने वाले हर किसी की नाव इन लहरों पर ऊंची उठती चली गई है. यह  यह उद्यम यात्रा, ख़ास कर लेखन के क्षेत्र में देखने में आ रहा है. चाहे विषय कुछ भी हों, पुस्तकों की बाढ़ सी आई हुई है. लेखक नए हों या पुराने, सभी के लिए डिजिटलाइजेशन ने राह आसान बना कर उन्हें एक उद्यमी का दर्जा दिला दिया है. प्रकाशन के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में जो तीन चीजें जो ऊपर की ओर रुझान अथवा हाई टाइड की घटना का निर्माण करती हैं, वे हैं- पहली नई रिलीज, दूसरी सांस्कृतिक बदलाव, और तीसरी  डिजिटलाइजेशन.   लेखन और मीडिया क्षेत्र बाजार का यह ऊंची लहरों की सवारी का सिद्धांत कमोबेश सभी व्यवसाय या उद्यम में लागू होता है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में लेखन और मीडिया से संबंधित उद्यम ऐसे भी सामने आए हैं, जिनकी नियमित या निरंतर की सवारी, ऊर्घ्वगामी कदम साबित हो रहा है. यह सवार को आगे ही आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करता जाता है. आज सभी भाषाओं और विभिन्न विषयों पर पुस्तकों की बाढ़ सी आ गई है. उद्यम यात्रा का यह चमत्कारिक प्रभाव पिछले 2016 से गतिमान हुआ, जिसे डिजिटलाइजेशन ने निर्माण किया है. 1990 तक भारत में लोग जान चुके थे की कंप्यूटर क्या है, लेकिन तब-तक दुनिया में लोगों के लिए इंटरनेट आम हो चुका था. देश में इसे लाने की कोशिश जारी थी. इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत भारत में 15 अगस्त, 1995 को विदेश संचार निगम लिमिटेड ने शुरू किया. इसके बाद नवम्बर, 1998 में, सरकार ने निजी ऑपरेटरों के माध्यम से इंटरनेट सेवाओं को आम लोगों के लिए उपलब्ध कराने के लिए खोल दिया. सर्च इंजन गूगल और वर्डप्रेस जैसे ओपन सोर्स टूल ने ब्लॉग्स की नींव रखी, जिसके माध्यम से लेखकों को आम लोगों तक पहुंच मिलनी शुरू हो गई. लेखक ब्लॉगर बनने लगे. विभिन्न विषयों पर पोर्टल भी सामने आने लगे. इनका व्यवसायीकरण भी शुरू हो गया. लेकिन क्षेत्र सीमित ही था. लेकिन अब, इन माध्यमों ने लेखकों को उद्यमी बनाने का मार्ग बनाना शुरू कर दिया और अब तो मानो चमत्कार ही होने लगे हैं. इंटरनेट की ताकत इससे लोगों को इंटरनेट की ताकत का अंदाजा मिलना शुरू हो गया था. बैंकिंग के साथ व्यावसायिक सेवाओं...
स्वामीनाथन

स्वामीनाथन ने देश को बदला ‘भीख के कटोरे’ से ‘रोटी की टोकरी’ में

महान कृषि वैज्ञानिक का हमेशा ऋणी रहेगा देश  विदर्भ आपला डेस्क भारत की हरित क्रांति के जनक के रूप में जाने जाने वाले, प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन अब इस दुनिया में नहीं रहे. 98 वर्षीय महान कृषि वैज्ञानिक का गुरुवार, 28 सितंबर को चेन्नई में उनके आवास पर निधन हो गया. भारत की हरित क्रांति का नेतृत्व करने से लेकर भारत की महिला किसानों को मान्यता दिलाने तक, प्रख्यात कृषक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन का जीवन ऐसे शानदार कृतियों और कीर्तियों का संगम रहा है. भारत में फिर से स्वर्ण युग की शुरुआत कर देश को 'भीख के कटोरे' से 'रोटी की टोकरी' में बदलने का काम उन्हें किया.  उन्होंने न केवल अपने देश को कृषि उत्पादन में फिर से पटरी पर लाने का काम किया, बल्कि चीन, वियतनाम, म्यांमार, थाईलैंड में कई कृषि संस्थानों की स्थापना के साथ श्रीलंका, पाकिस्तान, ईरान और कंबोडिया जैसे एशियाई देशों के कृषि क्षेत्र को संवारने में बड़ी भूमिका निभाई. भारतीय कृषि वैज्ञानिक और नीति निर्माता डॉ. स्वामीनाथन को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद करते हैं, जो न केवल एक वैज्ञानिक, शोधकर्ता और अकादमिक बल्कि एक दूरदर्शी प्रशासक के रूप में भी समय से आगे चले. समुदाय का मानना है कि उच्च उपज देने वाली बासमती चावल की किस्मों को विकसित करना, विभिन्न फसलों के लिए उत्परिवर्तन की तकनीक का अभिनव उपयोग करना, उत्पादन और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए आनुवंशिकी का अनुप्रयोग और "प्रयोगशाला से भूमि" जैसे कार्यक्रम शुरू करना देश के कृषि क्षेत्र में उनका प्रमुख योगदान था. अपने अनुसंधान और शोध कार्यों के लिए देश-विदेश में विभिन्न प्रतिष्ठित सम्मानों के साथ मिली धनराशि से उन्होंने एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना तमिलनाडु में की थी, जहां दिवंगत वैज्ञानिक का जन्म हुआ था. जबकि कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े ने बेंगलुरु में ऐसी संस्था स्थापित करने की पेशकश की थी. हेगड़े ने विशाल भूखंड और बड़ी रकम के साथ कोई आकर्षक पेशकश भी की थी. मनकोम्बु सांबासिवन (एमएस) स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के कुंभकोणम में एक सर्जन एम.के. सांबाशिवन और पार्वती थंगम्मल के घर हुआ था. 1940 के दशक में कुंभकोणम के कैथोलिक लिटिल फ्लावर हाई स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, स्वामीनाथन ने तिरुवनंतपुरम के महाराजा कॉलेज से प्राणी शास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की. खेती-किसानी में गहरी रुचि और किसानों की दुर्दशा से प्रभावित होकर, उन्होंने बाद में 1944 में मद्रास विश्वविद्यालय से कृषि विज्ञान में स्नातक की डिग्री पूरी की.1943 के बंगाल के अकाल को देखने के बाद, स्वामीनाथन ने भोजन की कमी से निपटने के लिए भारत की खेती के तरीकों में सुधार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. आजादी के बाद,  1947-1949  के बीच स्वामीनाथन पौधों के आनुवंशिकी और प्रजनन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में शामिल हो गए. उन्होंने फसल सुधार में मदद के लिए साइटोजेनेटिक्स में विशेषज्ञता हासिल की और इसमें स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की.स्वामीनाथन तब तक आलू के जीनस सोलनम...
सर्राफा

सर्राफा कारोबारी के घर से 12 लाख की चोरी 

नागपुर : सर्राफा कारोबारी के घर में घुसकर चोरों द्वारा 12 लाख के गहने और नकदी उड़ाने की घटना सामने आई है. सर्राफा कारोबारी परिजनों से मिलने सपरिवार पिछले शनिवार, 9 सितंबर को यवतमाल गए थे. घर में किसी के नहीं होने का फ़ायदा उठाकर किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा चोरी को अंजाम दिया गया. घटना वाठोड़ा थाना क्षेत्र की है. वाठोड़ा क्षेत्र के शैलेश नगर (कोहिनूर लॉन के पास) निवासी सर्राफा व्यापारी सतीश गुणवंत येरपुडे (47), रहते हैं. वे स्थानीय मंडी इतवारी मार्केट की सर्राफा लाइन में कारीगर के रूप में भी काम करते हैं. उनके आवास पर आभूषण की दुकान भी है. अक्सर वे अपनी दुकान से बेचने के लिए इतवारी से आभूषण लेकर आते हैं. 9 सितंबर को वह अपने परिवार के साथ यवतमाल में रिश्तेदारों से मिलने गए थे. इसके पहले वह इतवारी से कई बार गहने घर लाया करते थे. गहने वे अपने घर में ही रखते थे. घर पर किसी के नहीं होने का फायदा उठा कर अज्ञात चोर आंगन की दीवार फांदकर अंदर घुस गया. चोर ने अंदर से मुख्य दरवाजे का ताला तोड़ दिया और आलमारी में रखे 15 जोड़ी सोने की चूड़ियां, 15 गले की चेन, 20 सोने की छड़ें, 20 सोने के लॉकेट, अंगूठियां और 12.08 लाख रुपये के अन्य आभूषण लूट लिए.  मंगलवार, 12 सितंबर की सुबह जब येरपुड़े वापस घर लौटे तो यह घटना सामने आई. उनकी शिकायत पर वाठोड़ा थाने में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने आशंका जताई है कि इस चोरी में चोर येरपुड़े का कोई जानकार, येरपुड़े परिवार के किसी निकट संबंधी अथवा किसी मित्र का हाथ हो सकता है. वाठोड़ा पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है. वाठोड़ा शहर का घनी आबादी वाला क्षेत्र है. पिछले डेढ़ दशक में इस क्षेत्र की जनसंख्या और रिहायशी कॉलोनियां भी काफी संख्या में बढ़ी हैं. 

रिश्वत नहीं दिया तो 10 हजार किलो चावल सहित ट्रक जब्त

पुलिस उपायुक्त, कलमाना पुलिस निरीक्षक को हाई कोर्ट का समन नागपुर : एक लाख रुपए की रिश्वत नहीं देने पर ट्रक समेत 10 हजार किलो चावल जब्त करने का गंभीर आरोप दो अनाज व्यापारियों ने कलमना पुलिस पर लगाया है. मुंबई हाई कोर्ट के नागपुर बेंच के समक्ष दायर याचिका में दोनों व्यापारियों ने यह भी बताया है कि अवैध रूप से जब्ती के कारण पुलिस चार महीने तक एफआईआर भी दर्ज नहीं कर पाई.  इस याचिका पर मुंबई हाई कोर्ट के नागपुर बेंच ने शुक्रवार, 15 सितंबर को सुबह 10.30 बजे पुलिस उपायुक्त जोन-3 और कलमना वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को कोर्ट में उपस्थित हो कर रिश्वत की मांग और चावल जब्त करने के आरोप पर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है. मामले की सुनवाई जस्टिस नितिन साम्ब्रे और जस्टिस वाल्मीकि मैनजेस के समक्ष हुई. याचिकाकर्त्ता अनाज व्यापारियों के नाम नीलेश बावरिया और फैजल खान मुस्तफा खान हैं. उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर बताया कि अवैध रूप से चावल और ट्रक की जब्ती के कारण चार महीने तक कलमना पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं कर पाई. दोनों व्यापारियों ने रिश्वत की मांग और चावल जब्त करने वाले दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कानून के मुताबिक सख्त कार्रवाई करने की मांग की है.  इन व्यापारियों ने संबंधित चावल भारती ग्रुप को बेचा था. जब वह एक ट्रक में चावल भरकर बंजारा ले जा रहा था, कलमाना पुलिस ने ट्रक को रोक लिया और आवश्यक दस्तावेज मांगे. व्यापारियों ने दस्तावेज दिखाए. लेकिन पुलिस चावल भरे ट्रक को थाने ले गई और छोड़ने के लिए एक लाख रुपए रिश्वत की मांग रख दी.  लेनदेन वैध होने के कारण व्यापारियों ने रिश्वत देने से इनकार कर दिया. नतीजतन पुलिस ने चावल समेत ट्रक को जब्त कर लिया. उसके बाद चार महीने तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई. याचिका में आरोप लगाया गया है कि तब तक चावल और ट्रक को पुलिस ने अवैध रूप से जब्त कर लिया था. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधि. कौस्तुभ फुले ने पक्ष प्रस्तुत किया. 
ओबीसी जातीय

ओबीसी जातीय गणना : रोहिणी आयोग किसके लिए बनेगा ‘ब्रह्मास्त्र’..?

2024 के महासमर के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष में मुद्दों पर घमासान  विदर्भ आपला डेस्क- 2024 के महासमर के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच शह मात का खेल पहले से ही जोरों से चल रहा है. लेकिन इसी बीच अचानक संसद के विशेष सत्र की घोषणा कर दी गई. इसके साथ विशेष अधिवेशन को लेकर तमाम तरह की अटकलें चल निकली हैं. विपक्ष की जातीय जनगणना, महंगाई, बेरोजगारी के साथ सोनिया गांधी द्वारा पेश मुद्दों के साथ ताजा तरीन G-20 सम्मलेन पर खर्च का मुद्दा भी जुड़ गया है. सत्ता पक्ष क्या विपक्ष के मिसाइलों से बचाव के लिए अपना कोई ब्रह्मास्त्र तैयार कर रहा है? पर इन सबके बीच चर्चा का सबसे प्रमुख विषय अन्य पिछड़ा वर्ग के सब-कैटेगराइजेशन (उप वर्गीकरण) है. इस मुद्दे पर गठित न्यायमूर्ति रोहिणी आयोग की एक रिपोर्ट भी चर्चा में है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि रोहिणी आयोग की यह रिपोर्ट किसका ब्रह्मास्त्र बनेगी, सत्ता पक्ष का या विपक्ष का.   समझा जा रहा है कि सरकार इसे संसद के विशेष अधिवेशन में पेश कर सकती है. यह रिपोर्ट जुलाई में ही कमीशन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थीं. यह रिपोर्ट ऐसे समय में सौंपी गई है, जब विपक्ष लगातार  जातीय जनगणना की मांग कर रहा है. दरअसल 26 विपक्षी पार्टियों का गठबंधन INDIA अगले साल होने वाले आम चुनाव में भाजपा को मात देने के लिए पिछड़ी और अनुसूचित जाति के वोटरों को साधने का प्रयास कर रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ओबीसी आरक्षण को सब-कैटेगरी में बांटने का पूरा मामला क्या है और जस्टिस रोहिणी आयोग की रिपोर्ट इतनी अहम क्यों है? क्या है ओबीसी जातियों का वर्गीकरण के मामला मंडल कमीशन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में ओबीसी जाति के सभी लोगों को  केंद्रीय एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में नामांकन से लेकर नौकरियों तक में 27 प्रतिशत का आरक्षण मिलता है. अब दिक्कत ये है कि केंद्र सरकार की ओबीसी लिस्ट में 3,000 जातियां हैं. लेकिन कुछ ही जातियां ऐसी हैं, जो फिलहाल ओबीसी आरक्षण का लाभ उठा पा रही हैं. ऐसे में आरक्षण को सब-कैटेगरी में बांटने को लेकर बहस होती रहती है, ताकि इसका लाभ सभी जातियों को बराबर मिल सके. सबसे पहले सितंबर 2009 में तत्कालीन कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र भेजकर ओबीसी जनगणना की मांग उठाई थी. कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन संप्रग सरकार ने बीपीएल सर्वे में ओबीसी गणना को शामिल किया पर जातिगत जनगणना कराने की जहमत नहीं उठाई. भाजपा ने भी कभी जातिगत जनगणना का खुल कर विरोध नहीं किया. बिहार में तो भाजपा जातिगत जनगणना की मांग करने वाली सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भी शामिल रही है. राजनाथ सिंह ने भी उत्तर प्रदेश में एक बार जातिगत जनगणना कराने का वादा किया था. पर भाजपा सरकार ने जातीय जनगणना के बजाय ओबीसी जातियों के सब-कैटेगराइजेशन की दिशा में कदम उठाया. कब और क्यों...
दीक्षाभूमि के सौंदर्यीकरण से ऐसे निखरेगी संतरा नगरी

दीक्षाभूमि के सौंदर्यीकरण से ऐसे निखरेगी संतरा नगरी 

200 करोड़ रुपए मंजूर किए महाराष्ट्र शासन ने, बदलेगी की सूरत नागपुर :  संतरा नगरी नागपुर के विश्व प्रसिद्ध दीक्षाभूमि के आभामंडल में और चार चाँद लगने वाले हैं. बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपने लाखों अनुयायियों के साथ इस स्थल पर 14 अक्टूबर 1956 को बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी.  इस पावन स्थली के सौंदर्यीकरण और विकास के लिए महाराष्ट्र शासन ने 200 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं. महाराष्ट्र शासन की ओर से दीक्षाभूमि के विकास के लिए समय-समय पर पहले भी निधि उपलब्ध कराई जाती रही है. राज्य के अन्य प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों के सौंदर्यीकरण और विकास के तर्ज पर इस बार राज्य की एनडीए सरकार ने इस तीर्थ स्थल के लिए भी बड़ी निधि उपलब्ध कराई है.  सौंदर्यीकरण और विकास प्रकल्प के लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं. अगले माह 14 अक्टूबर को विकास कार्यों का भूमिपूजन होगा. नागपुर सुधार प्रन्यास के अध्यक्ष मनोज कुमार सूर्यवंशी सौंदर्यीकरण का यह कार्य अगले दो वर्षों में पूरा कर दीक्षाभूमि को नया स्वरूप देने के लिए कृतसंकल्प हैं.  बाबासाहेब ने विजयादशमी के दिन के अवसर पर धम्म चक्र प्रवर्तन का आयोजन कर इस स्थली को बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना दिया है. देश-विदेश से लाखों की संख्या में बौद्ध अनुयायी आते हैं. साथ ही सालों भर देश-विदेश से लाखों बौद्ध अनुयायी यहां आते रहते हैं. (दीक्षाभूमि भारत में बौद्ध धम्म का एक प्रमुख केन्द्र है. यहाँ बौद्ध धम्म की पुनरुत्थान हुआ है. महाराष्ट्र राज्य की उपराजधानी नागपुर शहर में स्थित इस पवित्र स्थान पर बोधिसत्त्व परमपूज्य डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने 14 अक्टूबर सम्राट अशोक विजयादशमी के दिन 1956 को पहले महास्थविर चंद्रमणी से बौद्ध धम्म दीक्षा लेकर अपने 5,00,000 (5 लाख) से अधिक अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी थी. त्रिशरण, पंचशील और अपनी 22 प्रतिज्ञाएँ देकर डॉ. आंबेडकर ने दलितों का धर्मपरिवर्तन किया. अगले दिन फिर 15 अक्टूबर को 2,00,000 (2 लाख ) से अधिक लोगों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी और स्वयं भी फिर से दीक्षित हुए. देश तथा विदेश से हर साल यहाँ 25 लाख से अधिक आंबेडकरवादी और बौद्ध अनुयायी आते हैं. - विकिपीडिया) दीक्षाभूमि के महत्व को देखते हुए महाराष्ट्र शासन ने इसे ए-श्रेणी पर्यटक स्थल का दर्जा दिया है. इसे विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जिम्मेदारी नागपुर सुधार प्रन्यास (NIT) को सौंपी गई है. NIT ने नोएडा के डिजाइन एसोसिएट्स के से एक विकास योजना तैयार की है. स्वरूप ऐसे बदलेगा... धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस पर होने वाले कार्यक्रम के लिए एक बड़ा मंच बनाया जाएगा. मौजूदा पार्किंग स्थल के स्थान पर भूमिगत पार्किंग सुविधा प्रदान की जाएगी. इसमें 400 कारों, 1000 दोपहिया वाहनों और 1,000 साइकिलों के लिए पार्किंग की सुविधा होगी.  मुख्य स्तूप के प्रवेश द्वार का जीर्णोद्धार किया जाएगा. प्रवेश द्वार की चौड़ाई बढ़ेगी. स्तूप के चारों ओर परिक्रमा पथ बनाया जाएगा. इसके बगल में एक खुला हॉल होगा. पूरा क्षेत्र फूलों वाले...